Newzfatafatlogo

प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा: लोकोमोटिव का निर्यात और नई रेल परियोजनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के सारण जिले में लोकोमोटिव का निर्यात करेंगे और नई रेल परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इस दौरे में वैशाली देवरिया रेल परियोजना का शुभारंभ भी शामिल है, जो 400 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई है। इसके साथ ही, पटलिपुत्र से गोरखपुर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई जाएगी। जानें इस दौरे के महत्व और सिमंडौ परियोजना के बारे में।
 | 
प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा: लोकोमोटिव का निर्यात और नई रेल परियोजनाएं

प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा

PM Modi Bihar Visit: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के सारण जिले के मरहोरा में लोकोमोटिव फैक्ट्री से पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाएंगे, जिसे गिनी को निर्यात किया जाएगा। यह उनका बिहार का दूसरा दौरा है। पहले, पीएम मोदी सिवान जाएंगे, जहां वैशाली देवरिया रेल परियोजना का उद्घाटन होगा, जिसकी लागत 400 करोड़ रुपये से अधिक है। इस रूट पर एक नई ट्रेन सेवा भी शुरू की जाएगी। इसके अलावा, पटलिपुत्र से गोरखपुर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई जाएगी, जिससे उत्तर बिहार की कनेक्टिविटी में सुधार होगा।




सिमंडौ परियोजना का महत्व

क्या है सिमंडौ परियोजना?


वैबटेक के प्रबंध निदेशक संदीप ने बताया कि सिमंडौ परियोजना विश्व की सबसे बड़ी आयरन ओर खनन परियोजनाओं में से एक है। इसमें खनन दो महत्वपूर्ण खदान डिवीजनों में किया जाएगा और आयरन ओर को 620 किमी दूर एक बंदरगाह पर भेजा जाएगा, जो रेल के माध्यम से होगा। इसके बाद, आयरन ओर को विभिन्न देशों में निर्यात किया जाएगा। ये लोकोमोटिव एक महत्वपूर्ण और आवश्यक रोलिंग स्टॉक हैं और यह परियोजना सफल होगी।




परियोजना का सामाजिक प्रभाव

परियोजना के जरिए लोग बनेंगे सशक्त


इस परियोजना में निर्मित इंजनों की शक्ति 4500 हॉर्स पावर है। हर ट्रेन में दो लोकोमोटिव जोड़े जाएंगे, जो 8100 टन का अनुगामी भार खींच सकते हैं। हम मानक गेज इंजनों का निर्यात कर रहे हैं, जबकि भारतीय रेलवे ब्रॉड गेज इंजनों का उपयोग करता है। यह परियोजना 2015 में आवंटित की गई थी, जिसमें वैबटेक की 75% और भारतीय रेलवे की 25% इक्विटी थी। पिछले 7 वर्षों में, हमने 726 इंजनों की आपूर्ति की है और अगले 3 वर्षों में 150 इंजन गिनी भेजे जाएंगे। इस परियोजना के माध्यम से 1500 से अधिक लोगों को सशक्त किया गया है, जिनमें से 99% जनशक्ति बिहार से है।