प्रधानमंत्री मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण: आतंकवाद और सिंधु जल समझौते पर महत्वपूर्ण बातें

प्रधानमंत्री मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण
प्रधानमंत्री मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण: 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की। अपने भाषण के सातवें मिनट में, उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए भारतीय सेना की बहादुरी और रणनीति की प्रशंसा की। पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा, 'अब खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे।' उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भारत अब परमाणु हमले की धमकियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं देश के सैनिकों को नमन करता हूं। ऑपरेशन सिंदूर में हमारे वीर जांबाज सैनिकों ने दुश्मनों को उनकी कल्पना से परे सजा दी। 22 अप्रैल को सीमापार से आए आतंकियों ने पहलगाम में लोगों को धर्म पूछकर मारा, पत्नियों के सामने उनके पतियों को और बच्चों के सामने उनके पिता को गोलियों से छलनी कर दिया। पूरा देश आक्रोश से भरा था और पूरा विश्व इस जनसंहार से चौंक गया।'
'ऑपरेशन सिंदूर' पर पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आगे बताया कि 22 अप्रैल के बाद सरकार ने सेना को रणनीति और लक्ष्य तय करने का पूरा अधिकार दे दिया था। उन्होंने कहा, 'हमारी सेना ने सैकड़ों किलोमीटर दुश्मन की सीमा में घुसकर आतंक की इमारतों को खंडहर बना दिया। पाकिस्तान में हुई तबाही के नए-नए खुलासे अब भी हो रहे हैं।'
India has decided — blood and water will no longer flow together. Now people understand how one-sided Indus agreement truly is. Waters of our rivers are irrigating enemy’s fields, while farmers of my own land remain thirsty on their own soil without water, says PM @narendramodi pic.twitter.com/Zyy92p9A9x
— SansadTV (@sansad_tv) August 15, 2025
आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया, 'हमारा देश दशकों से आतंकवाद का सामना करता आया है। आतंक और आतंकियों को पालने-पोसने वालों को अब हम अलग-अलग नहीं मानते। वे मानवता के समान दुश्मन हैं।' उन्होंने दोहराया कि भविष्य में अगर दुश्मन ने परमाणु हमले की धमकी या कोशिश की, तो सेना अपने समय और शर्तों पर मुंहतोड़ जवाब देगी।
सिंधु जल समझौते पर पीएम मोदी की राय
पीएम मोदी ने अपने भाषण में सिंधु जल समझौते को किसानों के साथ अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा, 'खून और पानी अब एक साथ नहीं बहेंगे। सिंधु नदी का समझौता देश के किसानों के साथ सात दशक से अन्याय कर रहा है। भारत की नदियों का पानी दुश्मनों के खेत सींच रहा है और मेरे देश की धरती प्यास से तरस रही है। हिंदुस्तान के हक का पानी सिर्फ हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के किसानों का है.'
उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा स्वरूप में यह समझौता न किसानों के हित में है, न राष्ट्रहित में, और भारत इसे स्वीकार नहीं करेगा।