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प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राष्ट्र महासभा में भागीदारी पर अनिश्चितता

सितंबर के अंत में न्यूयॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी पर अनिश्चितता बनी हुई है। जबकि उनका नाम वक्ताओं की सूची में शामिल है, अंतिम निर्णय अभी बाकी है। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव और संभावित बैठकों की खबरों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस विषय में और क्या चल रहा है और मोदी की उपस्थिति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राष्ट्र महासभा में भागीदारी पर अनिश्चितता

संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र नज़दीक

सितंबर के अंत में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का सत्र शुरू होने वाला है, लेकिन भारत सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें भाग लेंगे या नहीं। 26 सितंबर को होने वाले वक्ताओं की अनंतिम सूची में प्रधानमंत्री मोदी का नाम शामिल है, फिर भी अधिकारियों का कहना है कि अंतिम निर्णय अभी बाकी है और यह कार्यक्रम की तारीख के करीब ही लिया जाएगा। आमतौर पर, संयुक्त राष्ट्र के प्रारंभिक कार्यक्रम में राष्ट्राध्यक्षों की सूची पहले से तय होती है, और मोदी इज़राइल, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के नेताओं के साथ उच्च-स्तरीय सत्र को संबोधित करेंगे। हालांकि, विशेषज्ञों और सरकारी सूत्रों का कहना है कि ये सूचियाँ बदलती रहती हैं, और राजनयिक या कार्यक्रम संबंधी कारणों से नेताओं की उपस्थिति में कभी-कभी बदलाव किया जा सकता है। 


मोदी की भागीदारी पर अटकलें

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अलावा, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ संभावित बैठकों की खबरों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी को लेकर अटकलें बढ़ गई हैं। इसके अतिरिक्त, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव और टैरिफ विवादों ने कूटनीतिक माहौल को और जटिल बना दिया है। पहले की द्विपक्षीय वार्ताओं के बावजूद, हाल ही में भारतीय आयातों पर अमेरिकी टैरिफ ने संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है, जिससे मोदी की अमेरिका यात्रा और संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनकी उपस्थिति अनिश्चित हो गई है।


अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा

जैसे-जैसे सितंबर की तारीखें नज़दीक आ रही हैं, आंतरिक सरकारी परामर्श के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति पर अंतिम निर्णय की घोषणा होने की उम्मीद है। यदि वह अनुपस्थित रहते हैं, तो एक वरिष्ठ भारतीय मंत्री देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।