प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन किया, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया
प्रधानमंत्री का उद्घाटन समारोह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ग्रेटर नोएडा में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' और 'वोकल फॉर लोकल' अभियानों को एक नई दिशा दी। उन्होंने देश-विदेश के उद्यमियों और खरीदारों को संबोधित करते हुए भारत में एक मजबूत "स्वदेशी इकोसिस्टम" बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसका उद्देश्य भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना है। यह तीन दिवसीय मेला केवल एक प्रदर्शनी नहीं है, बल्कि यह उस 'नए भारत' का प्रतीक है जहां छोटे कारीगर और उद्यमी भी वैश्विक सपनों को साकार कर सकते हैं।PM मोदी ने 'स्वदेशी मंत्र' के तहत पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य केवल अपने उत्पादों का उपयोग करना नहीं है, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार में पहचान दिलाना है। उन्होंने 'वोकल फॉर लोकल' के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जब लोग इस अभियान को अपनाते हैं, तो यह 'लोकल से ग्लोबल' बनने में समय नहीं लेता।
प्रधानमंत्री ने 'एक जिला, एक उत्पाद' (ODOP) योजना को मेले का मुख्य आकर्षण बताया। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि हर जिले की विशेषता को पहचान दिलाकर उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचाया जाए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो और रोजगार के अवसर बढ़ें।
उन्होंने जीआई-टैग (GI-tagged) उत्पादों के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जैसे बनारसी साड़ी और इलाहाबादी अमरूद, जो गुणवत्ता और प्रामाणिकता की वैश्विक गारंटी प्रदान करते हैं।
इस मेले में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और महिला उद्यमियों पर विशेष ध्यान दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि MSMEs भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और सरकार उन्हें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनाने के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।
प्रधानमंत्री ने निवेशकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत में 'रेड टेप' नहीं, बल्कि 'रेड कार्पेट' बिछाया गया है। उन्होंने भारत की स्थिर सरकार और व्यापार करने में आसानी का उल्लेख करते हुए वैश्विक कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित किया।
इस व्यापार मेले में 70 से अधिक देशों के 500 से अधिक खरीदार भाग ले रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के 2,000 से अधिक प्रदर्शकों के साथ व्यापार करेंगे। यह आयोजन न केवल उत्तर प्रदेश को 'एक ट्रिलियन डॉलर' की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा, बल्कि भारत को एक वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केंद्र बनाने के सपने को भी साकार करेगा।