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प्रधानमंत्री मोदी ने सुदर्शन चक्र मिशन की घोषणा की, 2035 तक सुरक्षा कवच तैयार होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर 'सुदर्शन चक्र' मिशन की घोषणा की, जो 2035 तक तैयार होगा। यह सुरक्षा कवच देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और तकनीकी चुनौतियों का सामना करेगा। भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र से प्रेरित, यह मिशन भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जानें इस मिशन की विशेषताएँ और इसके पीछे की सोच के बारे में।
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प्रधानमंत्री मोदी ने सुदर्शन चक्र मिशन की घोषणा की, 2035 तक सुरक्षा कवच तैयार होगा

सुदर्शन चक्र मिशन का ऐलान

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के 79वें अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 'सुदर्शन चक्र' नामक एक राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का अनावरण किया, जो 2035 तक तैयार होगा। इसका उद्देश्य देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और भविष्य की तकनीकी चुनौतियों का सामना करना है।


सुदर्शन चक्र मिशन की विशेषताएँ




यह केवल एक हथियार नहीं है, बल्कि एक सुरक्षा कवच है जो देश को विभिन्न प्रकार के हमलों से सुरक्षित रखेगा। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि यह प्रणाली दुश्मनों के हमलों को केवल रोकने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए भी सक्षम होगी। यह भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


भगवान कृष्ण से मिली प्रेरणा


प्रधानमंत्री ने बताया कि इस मिशन की प्रेरणा भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र से ली गई है। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे श्री कृष्ण ने अपने चक्र से सूर्य को ढककर अर्जुन की प्रतिज्ञा पूरी करने में मदद की थी, उसी प्रकार भारत का 'सुदर्शन चक्र' मिशन भी दुश्मनों के हर इरादे को विफल करेगा और देश की रक्षा करेगा।


मेड इन इंडिया पहल


इस मिशन की एक विशेषता यह है कि इससे संबंधित सभी गतिविधियाँ - अनुसंधान, विकास और निर्माण, भारत में ही होंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि इस आधुनिक प्रणाली का निर्माण देश के युवा और वैज्ञानिक मिलकर करेंगे। यह 'आत्मनिर्भर भारत' की अवधारणा को और मजबूत करता है।


आगामी 10 वर्षों का लक्ष्य


पीएम मोदी ने कहा कि इस मिशन को अगले 10 वर्षों में पूरी ताकत से आगे बढ़ाने के लिए कुछ बुनियादी सिद्धांत भी निर्धारित किए जाएंगे। यह घोषणा भारत को सुरक्षा और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में देश की सामरिक ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।