प्रयागराज में बाढ़ से त्रस्त लोग, अखिलेश यादव ने उठाए सवाल

प्रयागराज में बाढ़ की स्थिति
लखनऊ। प्रयागराज के कई हिस्से बाढ़ से प्रभावित हैं, जिससे स्थानीय जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बाढ़ के कारण लोगों के घरों में पानी भर गया है, जिसके चलते उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने का दावा कर रही है, जबकि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जब उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार बड़े-बड़े लोगों के लिए ‘सुपर वीवीआईपी’ रैलियों का आयोजन कर सकती है, तो बाढ़ राहत कार्यों में क्यों नहीं जुटी है? उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार भ्रष्ट और असफल साबित हुई है। प्रयागराज के साथ-साथ पूरे उत्तर प्रदेश में बाढ़ के कारण स्थिति भयावह है। भोजन और पीने के पानी की कमी गंभीर हो गई है। शौचालयों की समस्या के कारण लोग अमानवीय हालात में जीने को मजबूर हैं।
उन्होंने आगे कहा कि बीमार बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल रही हैं। स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं। चूहों और जहरीले जीवों का डर लोगों को सोने नहीं दे रहा है। बिजली की समस्या और करंट का खतरा अलग से है। ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले लोग अपने घरों के धंसने के डर में जी रहे हैं। लोगों के घरों का सामान बर्बाद हो गया है और उनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं। जो कपड़े हैं, वे भी भीग चुके हैं। मोबाइल चार्ज न होने के कारण लोग आपस में संवाद नहीं कर पा रहे हैं। बाढ़ से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि जो लोग रोज़ी-रोटी के लिए काम करते हैं, वे अब काम पर नहीं जा पा रहे हैं। गरीब और मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं। किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और दुकानों को अरबों का नुकसान हुआ है। लोगों के पहचान पत्र, राशन कार्ड, ज़मीन के कागज़, बैंक पासबुक, और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़ या तो भीग गए हैं या बह गए हैं। बाढ़ के कारण जिन लोगों के वाहन डूब गए हैं, उनके लिए जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि इन हालातों में जनता बेहद आक्रोशित है क्योंकि प्रशासन नदारद है और सरकार केवल आत्म प्रचार में व्यस्त है। उन्होंने भाजपा सरकार से मांग की कि उपरोक्त मुद्दों पर स्पष्ट जवाब दें। जनता कब तक भय और आशंका के माहौल में जीने को मजबूर होगी? विकास और स्मार्ट सिटी के दावों के बीच विनाश की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं।