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प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों के आंकड़े: सरकार की रिपोर्ट में विसंगतियाँ

इस लेख में मोदी सरकार के तहत प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों के आंकड़ों में विसंगतियों का विश्लेषण किया गया है। विभिन्न सरकारी मंत्रालयों द्वारा प्रस्तुत आंकड़े एक-दूसरे से भिन्न हैं, जिससे सरकारी रिपोर्टों की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। जानें कि कैसे 2024 में चरम प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई मौतों के आंकड़े और आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों की संख्या चिंताजनक है। क्या सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी? पढ़ें पूरी जानकारी के लिए।
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प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों के आंकड़े: सरकार की रिपोर्ट में विसंगतियाँ

सरकारी आंकड़ों में असंगति

मोदी सरकार के कार्यकाल में मौतों के आंकड़े कभी भी सटीक नहीं मिलते हैं। विभिन्न मंत्रालय एक ही विषय पर भिन्न जानकारी प्रदान करते हैं, और संसद में भी अलग-अलग बातें की जाती हैं। प्राकृतिक आपदाओं में होने वाली मौतों के आंकड़े भी इसी तरह की असंगति का शिकार हैं। यह चौंकाने वाला है कि प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का कार्य केंद्र सरकार के अधीन है, लेकिन 1 अप्रैल 2025 को लोकसभा में एक अतारांकित प्रश्न के जवाब में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि मंत्रालय भूस्खलन जैसी आपदाओं के कारण होने वाली मौतों का डेटा एकत्रित नहीं करता है। वहीं, इसी मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो ने 2023 तक 'भारत में आकस्मिक मौतें और आत्महत्याएं' नामक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों का अलग से विवरण दिया गया है।


2024 में प्राकृतिक आपदाओं से हुई मौतें

जनवरी 2025 की शुरुआत में भारतीय मौसम विभाग ने 2024 के लिए वार्षिक जलवायु सारांश जारी किया, जिसमें बताया गया कि चरम प्राकृतिक आपदाओं के कारण 3201 लोगों की असामयिक मृत्यु हुई। इनमें से 1373 मौतें बिजली गिरने से, 1282 बाढ़ से, 459 लू लगने से, 70 चक्रवातों से और 17 अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हुईं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, केरल और तेलंगाना जैसे राज्य इन आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित हुए।


सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट

5 जून 2025 को भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय ने एनवीस्टैट इंडिया 2025 रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें 2024 में चरम प्राकृतिक आपदाओं से 3080 मौतें होने की जानकारी दी गई। इस रिपोर्ट में मानव मृत्यु के साथ-साथ मवेशियों की मृत्यु, बाढ़ से मकानों की क्षति और खड़ी फसल की बर्बादी के आंकड़े भी शामिल हैं। 2023 की तुलना में 2024 में मानव मृत्यु, मकानों की क्षति और फसल की बर्बादी के आंकड़े बढ़े हैं, जबकि मवेशियों की मृत्यु में कमी आई है।


आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें

वर्ष 2019 से 2022 के बीच आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों के आंकड़े भी चिंताजनक हैं। 2019 में 2876, 2020 में 2862, 2021 में 2880 और 2022 में 2887 मौतें हुईं। इन आंकड़ों के अनुसार, आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें कुल मौतों का एक बड़ा हिस्सा बनाती हैं।


सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता

सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली असामयिक मौतों में भयानक गर्मी से मरने वालों की संख्या शामिल नहीं होती। प्रधानमंत्री मोदी जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बातें करते हैं, लेकिन अत्यधिक गर्मी को प्राकृतिक आपदा मानने से इनकार करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में गर्मी के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है।


विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी से मरने वालों की सरकारी संख्या वास्तविकता से बहुत कम है। 2024 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, गर्मी से 360 मौतें दर्ज की गईं, जबकि एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के अनुसार यह संख्या 733 है।


निष्कर्ष

प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का पैमाना बढ़ता जा रहा है, और सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। आपदा प्रबंधन के नाम पर केवल मुआवजे का प्रावधान है, जबकि आपदाओं के प्रभावों को कम करने की कोई योजना नहीं है।