प्रिंस हत्या मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ CBI कोर्ट में मामला दर्ज होगा

प्रिंस हत्या मामले में नया मोड़
गुड़गांव के चर्चित प्रिंस हत्या मामले में एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है। बस कंडक्टर अशोक को गलत तरीके से आरोपी बनाकर जेल भेजने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ अब CBI कोर्ट में मामला दर्ज किया जाएगा। अदालत ने दो ACP, एक थाना प्रभारी और एक सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ केस को सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी
इन चारों पुलिसकर्मियों ने इस आदेश को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने याचिका में कहा कि सरकार की अनुमति के बिना कोर्ट ने केस चलाने का निर्देश दिया। हालांकि, अब सरकार से अनुमति मिल चुकी है और हाईकोर्ट में सुनवाई 28 अगस्त को निर्धारित की गई है।
कोर्ट की सख्ती और ट्रायल की गति
मामले की सुनवाई में देरी पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। जनवरी 2023 से शुरू हुए ट्रायल में अब तक केवल 21 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं, जबकि चार्जशीट में 123 गवाहों के नाम शामिल हैं। कोर्ट ने निर्णय लिया है कि सितंबर से हर सुनवाई की तारीख पर सुबह 9 बजे से शाम 4:30 बजे तक केवल इसी केस की सुनवाई होगी।
CBI को गवाहों के बयान तेजी से दर्ज करने का निर्देश
गवाहों के बयान तेजी से दर्ज करने के लिए CBI को निर्देश दिया गया है कि हर तारीख पर कम से कम चार गवाहों को पेश किया जाए। इससे उम्मीद है कि ट्रायल में तेजी आएगी और पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिलेगा।
अशोक को मिली क्लीन चिट, असली आरोपी भोलू
यह मामला 8 सितंबर 2017 का है, जब गुड़गांव के एक स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रिंस की हत्या स्कूल के टॉयलेट में की गई थी। शुरुआत में भोंडसी पुलिस ने बस कंडक्टर अशोक को गिरफ्तार किया था। लेकिन परिजनों ने जांच पर सवाल उठाए और CBI से जांच की मांग की।
CBI ने जांच में पाया कि अशोक निर्दोष है और उसे क्लीन चिट देकर जेल से रिहा किया गया। असली आरोपी स्कूल का 11वीं कक्षा का छात्र भोलू निकला, जिसे नवंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया। उसकी उम्र 16 साल 5 महीने थी, लेकिन कोर्ट ने उसे व्यस्क मानते हुए IPC की धारा 302 के तहत केस चलाने की अनुमति दी।
वर्तमान में आरोपी की उम्र 23 साल है और केस अब व्यस्क ट्रायल में परिवर्तित हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में आरोपी को जमानत दी थी और सुनवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।