प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले पर उठाए गंभीर सवाल, सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

कांग्रेस सांसद ने केंद्र सरकार को घेरा
लोकसभा में कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने तीखे शब्दों में पूछा कि 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की जिम्मेदारी कौन लेगा, जिनकी जान उनके परिवार के सामने ली गई। प्रियंका ने कहा कि यह घटना सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न उठाती है।
सरकार का भरोसा टूटा
प्रियंका ने अपने भाषण में उत्तर प्रदेश के शुभम द्विवेदी और उनकी पत्नी का जिक्र किया, जो अपनी शादी के छह महीने बाद कश्मीर की यात्रा पर गए थे। उन्होंने कहा कि ये लोग सरकार और मीडिया द्वारा दिए गए आश्वासन पर कश्मीर गए थे कि वहां शांति है और पर्यटक सुरक्षित हैं। प्रियंका ने सदन में कहा, “शुभम की पत्नी ने कहा कि वे सरकार के भरोसे वहां पहुंचे थे, लेकिन सरकार ने उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ दिया।”
हमले की भयावह कहानी
प्रियंका गांधी ने बैसारन वैली में हुए हमले का विवरण साझा करते हुए बताया कि वहां लगभग 500-600 पर्यटक मौजूद थे, जो पहाड़ों में घोड़े के माध्यम से पहुंचे थे। हमले के दौरान चार आतंकवादी जंगल से बाहर आए और बिना किसी रुकावट के लोगों पर गोलियां चलाने लगे। शुभम द्विवेदी को उनकी पत्नी के सामने गोली मारी गई और एक घंटे तक कोई सुरक्षा बल नहीं आया।
भावुक बयान ने सदन को किया प्रभावित
शुभम की पत्नी के बयान को दोहराते हुए प्रियंका ने कहा, “मैंने अपनी आंखों के सामने अपनी दुनिया खत्म होते देखी। वहां एक भी पुलिसकर्मी नहीं था। मेरी सरकार ने हमें अनाथ छोड़ दिया।” इस भावुक उद्धरण ने सदन में उपस्थित सभी को प्रभावित किया और प्रियंका ने सवाल उठाया कि जब रोजाना हजारों लोग उस क्षेत्र में जाते हैं, तो सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम क्यों नहीं किए गए?
रक्षा मंत्री और उपराज्यपाल के बयानों में विरोधाभास
प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि हमले से केवल दो सप्ताह पहले रक्षा मंत्री ने कश्मीर का दौरा किया था और उन्होंने कहा था कि “आतंकवाद पर विजय प्राप्त हो चुकी है।” वहीं, हमले के तीन महीने बाद जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने खुद स्वीकार किया कि “पहलगाम में सुरक्षा को लेकर लापरवाही हुई थी।”