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प्रियंका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर उठाए सवाल, क्या यह अदालत का काम है?

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुप्रीम कोर्ट की एक हालिया टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया है, जिसमें कहा गया था कि 'सच्चा भारतीय ऐसा नहीं करता'। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अदालत का काम यह तय करना है कि कौन सच्चा भारतीय है। प्रियंका ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। इस मुद्दे ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में बहस को जन्म दिया है, जहां कई विशेषज्ञों ने अदालत की टिप्पणियों को लेकर चिंता व्यक्त की है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी।
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प्रियंका गांधी का कड़ा ऐतराज

प्रियंका गांधी वाड्रा, कांग्रेस की प्रमुख नेता, ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई एक टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अदालत ने कहा था कि "सच्चा भारतीय ऐसा नहीं करता", जो राहुल गांधी की एक पूर्व टिप्पणी से संबंधित था। प्रियंका ने यह सवाल उठाया कि क्या अब अदालत का काम यह तय करना है कि कौन सच्चा भारतीय है और कौन नहीं। उन्होंने कहा, “यदि सवाल पूछना या सरकार की आलोचना करना ‘असच्चा’ बनाता है, तो फिर भारत का संविधान, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या होगा?”


प्रियंका ने यह भी कहा कि “देश की न्यायपालिका को निष्पक्ष रहना चाहिए और नागरिकों के अधिकारों को इस तरह की व्यक्तिपरक टिप्पणियों से सीमित नहीं करना चाहिए।” इस टिप्पणी ने राजनीतिक और कानूनी क्षेत्रों में बहस को जन्म दिया है। कई विपक्षी दलों और विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट के इस प्रकार के शब्दों पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि ऐसे बयान अदालत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं और स्वतंत्र विचार रखने वाले नागरिकों को चुप कराने का एक साधन बन सकते हैं।


हालांकि, कुछ कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत की टिप्पणी शायद एक व्यापक नैतिक दृष्टिकोण से दी गई थी और इसका उद्देश्य किसी की देशभक्ति पर सीधे सवाल उठाना नहीं था। फिर भी, यह सवाल उठता है कि क्या अदालतों को इस तरह की परिभाषाएं निर्धारित करनी चाहिए। यह विवाद केवल राहुल और प्रियंका गांधी का नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की उस मूलभूत सोच का है, जहां सवाल पूछना अधिकार है, न कि अपराध।