प्रेमानंद जी महाराज के पांच उपाय: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धार्मिक मार्गदर्शन

प्रेमानंद जी महाराज का संदेश
प्रेमानंद जी महाराज: भक्ति और सत्संग के माध्यम से लोगों को जीवन का सही मार्ग दिखाने वाले प्रेमानंद जी महाराज हाल ही में एक विशेष कारण से चर्चा में हैं। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसमें वे अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से बचने के उपाय साझा कर रहे हैं। उनके अनुसार, यदि व्यक्ति कुछ विशेष नियमों का पालन करे, तो न केवल उसका जीवन सुखमय बनता है, बल्कि पुनर्जन्म और अकाल मृत्यु जैसे संकट भी समाप्त हो जाते हैं।
धार्मिक उपायों से सुरक्षा
कुछ धार्मिक तरीकों से अकाल मौत से बचेगा इंसान
प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि कुछ धार्मिक उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके व्यक्ति खुद को और अपने परिवार को कई अनहोनी घटनाओं से बचा सकता है। उन्होंने अपने सत्संग में विशेष रूप से पांच ऐसे उपाय बताए हैं, जिन्हें नियमित रूप से अपनाने से व्यक्ति सड़क दुर्घटनाओं, रोगों और अकाल मृत्यु जैसे खतरों से सुरक्षित रह सकता है।
प्रमुख उपाय
श्रीकृष्ण के शालिग्राम जी का चरणामृत पिएं
प्रेमानंद जी का कहना है कि रोजाना श्रीकृष्ण के शालिग्राम जी का चरणामृत पीना चाहिए। उनका दावा है कि इससे न केवल रोगों का नाश होता है, बल्कि पुनर्जन्म का चक्र भी टूटता है। यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अभ्यास है।
इस मन्त्र का करें जाप
दूसरे उपाय के रूप में, वे सलाह देते हैं कि हर दिन घर से निकलने से पहले “कृष्णाय वासुदेवाय…” मंत्र का 11 बार जप करें। इससे व्यक्ति को किसी भी अनचाही दुर्घटना से सुरक्षा मिलती है। चरणामृत पीने के बाद इस मंत्र का जप करना अधिक प्रभावी माना गया है।
प्रतिदिन 20 से 30 मिनट नाम जप
तीसरा उपाय है भगवान के सामने बैठकर प्रतिदिन 20 से 30 मिनट नाम जप करना। वे कहते हैं कि जिस भी नाम में आपकी आस्था हो, उसी का स्मरण करें। यह मन को शांति और आत्मा को शक्ति देता है।
रोजाना 11 बार दंडवत प्रणाम
चौथे नियम में प्रेमानंद जी बताते हैं कि रोजाना 11 बार ठाकुर जी के सामने दंडवत प्रणाम करना चाहिए। इसका फल 10 अश्वमेध यज्ञ के बराबर बताया गया है। वे दावा करते हैं कि कृष्ण को दंडवत प्रणाम करने से पुनर्जन्म नहीं होता।
वृंदावन की रज मस्तक पर लगाना
आखिरी उपाय में वे कहते हैं कि वृंदावन की रज (धूल) को मस्तक पर लगाना चाहिए। इसे पवित्रता और सुरक्षा का प्रतीक माना गया है। प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि जो भी व्यक्ति इन 5 नियमों को श्रद्धा और निष्ठा से अपनाता है, उसका जीवन न केवल सुरक्षित होता है, बल्कि उसमें आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता भी बनी रहती है।