प्रोस्टेट कैंसर: पुरुषों में बढ़ती समस्या और इसके लक्षण

प्रोस्टेट कैंसर की बढ़ती जागरूकता
नई दिल्ली: आजकल स्वास्थ्य को लेकर लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है। इस संदर्भ में प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता भी तेजी से बढ़ रही है। यह कैंसर मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है। कई बार यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है, इसलिए इसे प्रारंभिक चरण में पहचानना और सही उपचार कराना अत्यंत आवश्यक है। यदि समय पर उचित कदम उठाए जाएं, तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और मरीज एक स्वस्थ जीवन जी सकता है। इसके लिए यह जरूरी है कि लोग प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों और उपचार के तरीकों को समझें।
प्रोस्टेट ग्रंथि और कैंसर का विकास
अमेरिकन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि है, जो पुरुषों के प्रजनन तंत्र का हिस्सा होती है। यह ग्रंथि मूत्राशय के नीचे और पुरुषों की मूत्र नली के चारों ओर स्थित होती है। जब इस ग्रंथि में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।
प्रारंभिक लक्षण और पहचान
अधिकतर मामलों में, प्रारंभिक चरण में इस कैंसर के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते समय जलन या दर्द, पेशाब रोकने में कठिनाई, और रात में बार-बार पेशाब आना शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ मरीजों को कमर या कूल्हे में दर्द भी महसूस हो सकता है।
उम्र और नियमित जांच का महत्व
यह बीमारी विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ होती है, और आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को इसका खतरा होता है। इसलिए नियमित जांच कराना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रोस्टेट कैंसर की पहचान के लिए डॉक्टर कुछ विशेष परीक्षण करते हैं, जैसे डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन, जिसमें डॉक्टर सीधे हाथ से प्रोस्टेट की जांच करते हैं। इसके अलावा, खून में पीएसए (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) की मात्रा मापी जाती है। यदि पीएसए का स्तर बढ़ता है, तो और अधिक जांच की आवश्यकता होती है।
इलाज के विकल्प
यदि बीमारी को प्रारंभिक चरण में पकड़ा जाए, तो इसका उपचार करना आसान होता है। उपचार के कई विकल्प होते हैं, जैसे सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, और हार्मोन थेरेपी। कुछ मरीजों के लिए डॉक्टर केवल निगरानी और नियमित जांच की सलाह भी देते हैं।