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फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला: ईडी की कार्रवाई

फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप सामने आए हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है। ईडी का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने 415.10 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है, जिसमें अभिभावकों से झूठे मान्यता पत्रों के आधार पर पैसे हड़पे गए हैं। इस मामले में और भी सबूत जुटाने की प्रक्रिया जारी है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला: ईडी की कार्रवाई

अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया। ईडी का दावा है कि इस संस्थान ने लगभग 415.10 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है। अभिभावकों को झूठे मान्यता पत्रों के आधार पर करोड़ों रुपये की ठगी की गई है। अदालत ने जवाद अहमद को 13 दिन की हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।


ईडी की कार्रवाई का विवरण

ईडी ने अदालत में जवाद अहमद की रिमांड की मांग करते हुए आरोप पत्र पेश किया। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया है। ईडी अब मामले में और सबूत इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है। अल-फलाह ग्रुप के खिलाफ 14 नवंबर को मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।


घोटाले के संकेत

ईडी ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के आयकर रिटर्न की जांच की, जिसमें 2014-15 से 2024-25 के बीच के लेन-देन को स्वैच्छिक योगदान और शैक्षिक प्राप्तियों के रूप में दर्शाया गया है। इस जांच में 415.10 करोड़ रुपये के घोटाले के संकेत मिले हैं।


कस्टडी की आवश्यकता

ईडी ने अदालत से जवाद सिद्दीकी की कस्टडी मांगी है, यह बताते हुए कि यूनिवर्सिटी के फीस संरचना, दान, फंड प्रवाह और अवैध संपत्तियों की जांच के लिए उनकी हिरासत आवश्यक है। सिद्दीकी का ट्रस्ट पर काफी प्रभाव है, और उनकी कस्टडी न मिलने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका है।


मामले का संक्षिप्त विवरण

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में एक बड़े आतंकवादी मॉड्यूल का खुलासा हुआ है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने 10 नवंबर को यहां से कई संदिग्धों के पास विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। इसके बाद दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट के तार भी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े पाए गए हैं। गृह मंत्रालय ने इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को सौंप दी है।