फरीदाबाद के किसान ने ड्रैगन फ्रूट खेती से बदली किस्मत

ड्रैगन फ्रूट खेती: फरीदाबाद के किसान की नई शुरुआत
ड्रैगन फ्रूट खेती: फरीदाबाद के किसान की नई शुरुआत: फरीदाबाद के फतेहपुर बिल्लौच गांव के किसान यश मोहन ने पारंपरिक खेती को छोड़कर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है।
उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है, जो अब उनके लिए एक नई उम्मीद बन चुकी है। हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठाते हुए, यश ने जैविक खेती को अपनाया है। उनके दो दर्जन पौधों से शुरू हुआ सफर अब फल देने लगा है। यदि आप खेती में नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं, तो यश की कहानी आपके लिए प्रेरणादायक हो सकती है।
मेहनत और लागत का अनोखा प्रयोग
ड्रैगन फ्रूट की खेती करना आसान नहीं है। यश मोहन ने बताया कि इसके लिए खंभों का सहारा लेकर पौधे लगाए जाते हैं। एक पौधे की कीमत 150 रुपये है, और एक एकड़ में 400 खंभे लगाए गए हैं। अब तक इस पर 6.5 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। ये पौधे हिमाचल प्रदेश से लाए गए हैं, जिनमें ड्रैगन रेड वैरायटी शामिल है।
यह लाल रंग का ड्रैगन फ्रूट बाजार में कम मिलता है और इसकी कीमत 100 रुपये प्रति फल तक होती है। यश ने पूरी तरह जैविक तरीके अपनाए हैं। वे गौमूत्र और जीवा अमृत का छिड़काव करते हैं और केंचुआ खाद का उपयोग करते हैं। रासायनिक कीटनाशकों से दूर रहते हैं।
जैविक खेती और टिकाऊ तकनीक
यश की खेती पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। उन्होंने सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम स्थापित किया है, जो पानी की बचत करता है। पौधे अभी शुरुआती चरण में हैं, लेकिन जैसे-जैसे वे बढ़ेंगे, फलों को सहारा देने के लिए जाल लगाए जाएंगे।
ड्रैगन फ्रूट का एक पौधा कई वर्षों तक फल देता है, जिससे लंबे समय तक आय की संभावना बनी रहती है। यश का कहना है कि कीड़ों से बचाव के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाए गए हैं। उनकी मेहनत और धैर्य अब रंग ला रहा है, और वे अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं।
कमाई का नया रास्ता
ड्रैगन फ्रूट की बढ़ती मांग यश के लिए एक बड़ा अवसर है। बाजार में इसकी ऊंची कीमत और स्वास्थ्य लाभ इसे लोकप्रिय बनाते हैं। यश की जैविक खेती न केवल उनकी आय बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाएगी।
हरियाणा सरकार की नीतियों और यश जैसे किसानों की मेहनत से बागवानी खेती को नया मुकाम मिल रहा है। यश का मानना है कि यदि उत्पादन अच्छा रहा, तो उनकी लागत निकलने के साथ मुनाफा भी होगा। उनकी यह पहल अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।