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फिल्म '120 बहादुर': मेजर शैतान सिंह की वीरता की कहानी

फिल्म '120 बहादुर' में मेजर शैतान सिंह भाटी की अद्वितीय वीरता को दर्शाया गया है। फरहान अख्तर इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक लड़ाई पर आधारित है। यह फिल्म साहस, नेतृत्व और मातृभूमि के प्रति बलिदान की कहानी है। जानें इस फिल्म के टीज़र और इसकी रिलीज की तारीख के बारे में।
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फिल्म '120 बहादुर': मेजर शैतान सिंह की वीरता की कहानी

मेजर शैतान सिंह भाटी: एक अद्वितीय योद्धा

भारतीय सेना के इतिहास में मेजर शैतान सिंह भाटी का नाम बहादुरी के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान रेजांग ला की लड़ाई में उनकी वीरता आज भी लोगों को प्रेरित करती है। अभिनेता फरहान अख्तर इस महान योद्धा की कहानी को फिल्म '120 बहादुर' के माध्यम से जीवंत करने जा रहे हैं।


मेजर शैतान सिंह का परिचय

मेजर शैतान सिंह का जन्म राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। वे भारतीय थलसेना की 13 कुमाऊं बटालियन के सदस्य थे। 18 नवंबर 1962 को, लद्दाख के रेजांग ला पास पर, उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ लगभग 3,000 चीनी सैनिकों का सामना किया, जबकि उनकी कंपनी में केवल 120 सैनिक थे। उन्होंने बिना भारी हथियारों के सात बार चीनी हमलों को विफल किया।


हालांकि इस लड़ाई में वे शहीद हो गए, लेकिन उनके अदम्य साहस और नेतृत्व ने उन्हें परम वीर चक्र से सम्मानित किया। उनकी वीरता भारतीय सेना के इतिहास में एक मिसाल बन गई है।


फिल्म '120 बहादुर' का आगाज़

फरहान अख्तर इस फिल्म में मेजर शैतान सिंह का किरदार निभा रहे हैं। फिल्म का निर्देशन राजीव जी. मेनन कर रहे हैं और संवाद समीत अरोड़ा ने लिखे हैं। यह फिल्म रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई पर आधारित है और इसे 2025 में रिलीज किया जाएगा।



फरहान अख्तर ने इस फिल्म का टीज़र सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसमें वे सेना की वर्दी में मेजर सिंह के रूप में नजर आ रहे हैं। टीज़र में बर्फ से ढकी पहाड़ियों, देशभक्ति से भरे संवाद और उनकी आंखों में जुनून साफ झलकता है। दर्शकों का कहना है, 'यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि जज़्बात हैं।'


फिल्म देखने का कारण

मेजर शैतान सिंह की कहानी केवल एक युद्ध की गाथा नहीं है, बल्कि यह साहस, नेतृत्व और मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान की दास्तान है। '120 बहादुर' उन 120 सैनिकों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की। यह फिल्म हमें याद दिलाती है कि असली नायक वे होते हैं जो चुपचाप सीमा पर खड़े होकर देश की सुरक्षा करते हैं।