फोर्टिस मोहाली ने वास्कुलर रोगों के लिए नई क्लॉट रिट्रीवल तकनीक का किया उद्घाटन

फोर्टिस अस्पताल मोहाली की नई उपलब्धि
(चंडीगढ़ समाचार) चंडीगढ़। फोर्टिस अस्पताल मोहाली ने वास्कुलर रोगों, विशेषकर डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) के उपचार में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अस्पताल के वास्कुलर सर्जरी विभाग ने डॉ. रावुल जिंदल के नेतृत्व में अत्याधुनिक नॉन-थ्रोम्बोलिटिक मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी उपकरणों को सफलतापूर्वक लागू किया है। ये उपकरण उन मरीजों के लिए तेज़, सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रदान करते हैं जो बड़े रक्त के थक्कों से प्रभावित हैं।
डीवीटी का पारंपरिक उपचार और नई तकनीक
डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आमतौर पर टांगों की गहरी नसों में रक्त का थक्का जम जाता है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। पारंपरिक उपचार एंटीकोएगुलेंट थैरेपी पर निर्भर करता था, जो केवल थक्के को बढ़ने से रोकती है, लेकिन उसे सक्रिय रूप से हटाती नहीं है।
फोर्टिस मोहाली अब अगली पीढ़ी के क्लॉट रिट्रीवल सिस्टम्स की पेशकश कर रहा है, जिसमें पेनुम्ब्रा इंडिगो लाइटनिंग सिस्टम और इनारी क्लॉटट्रीवर सिस्टम शामिल हैं। ये तकनीकें खून बहने के जोखिम को कम करती हैं, मरीज की सुरक्षा को बढ़ाती हैं और तेजी से स्वस्थ होने में मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त, एंजियोजेट का उपयोग थक्कों को तोड़ने और हटाने के लिए एक अधिक आक्रामक तरीका अपनाया गया है।
डॉ. रावुल जिंदल का बयान
डॉ. रावुल जिंदल ने कहा, "एंटीकोएगुलेशन आवश्यक है, लेकिन यह केवल थक्के को बढ़ने से रोकता है। यदि डीवीटी गंभीर हो, तो शुरुआती चरण में ही थक्का हटाना बेहद ज़रूरी होता है। ये आधुनिक तकनीकें थक्के को तुरंत और प्रभावी ढंग से हटाती हैं, जिससे सामान्य रक्त प्रवाह बहाल होता है और पीटीएस से बचाव होता है।"
उत्तर भारत से आ रहे मरीज अब इन तकनीकों से शीघ्र स्वस्थ हो रहे हैं, बेहतर परिणाम प्राप्त कर रहे हैं और अस्पताल में कम समय बिता रहे हैं। इस प्रकार, फोर्टिस अस्पताल मोहाली डीवीटी के उपचार का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।