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बच्चों में फैल रही माउथ डिजीज: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

हाल के दिनों में, देश के कुछ राज्यों में बच्चों में माउथ डिजीज फैल रही है, जिसमें मुंह में छाले और बुखार शामिल हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से 3 से 7 साल के बच्चों को प्रभावित कर रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह कॉक्ससैकी वायरस के कारण हो रहा है। माता-पिता को सलाह दी गई है कि वे बच्चों के लक्षणों पर ध्यान दें और उन्हें अलग रखें। जानें इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।
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बच्चों में फैल रही माउथ डिजीज: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

बच्चों में माउथ डिजीज के लक्षण

माउथ इन्फेक्शन के लक्षण: हाल के दिनों में, देश के कुछ हिस्सों में स्कूल के बच्चों के बीच एक अजीब बीमारी फैल रही है। इस बीमारी में बच्चों के मुंह में छाले बन जाते हैं। यह समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि कई बच्चों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है। यह संक्रमण केवल मुंह तक सीमित नहीं है, बल्कि जब यह बढ़ता है, तो हाथों और पैरों में भी छाले हो सकते हैं। कोलकाता और दिल्ली के स्कूलों के बच्चे इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।


HFMD: बीमारी का विवरण

दिल्ली और कोलकाता में फैल रही यह बीमारी HFMD (हैंड, फुट, एंड माउथ डिजीज) के रूप में जानी जा रही है। इसके प्रारंभिक लक्षणों में मुंह में छाले होना शामिल है। इसके बाद, शरीर के अन्य हिस्सों में छाले, तेज बुखार और गले में खराश भी हो सकती है। कभी-कभी, यह बीमारी गंभीर हो जाती है और बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है, जिससे चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने इस बीमारी के प्रति चेतावनी जारी की है और माता-पिता से अनुरोध किया है कि वे लक्षणों को पहचानें और बच्चों को अलग रखें, ताकि संक्रमण अन्य बच्चों में न फैले।


बीमारी की गंभीरता

डॉक्टरों के अनुसार, यह बुखार कॉक्ससैकी वायरस के कारण होता है, जो 3 से 7 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। इस बुखार के ठीक होने में 7 से 10 दिन लग सकते हैं, और कभी-कभी गंभीर मामलों में इससे अधिक समय भी लग सकता है। इस बीमारी के कारण स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गई हैं और परिसर को सैनिटाइज किया जा रहा है।


संक्रमण के कारण

  • इस संक्रमण का मुख्य कारण मौसमी बीमारियां हैं।
  • बच्चों के खिलौनों के माध्यम से भी वायरस फैल सकता है।
  • संक्रमित व्यक्ति की छींक, खांसी और थूक से यह बीमारी फैलती है।
  • संक्रमित बच्चों के मल त्याग के बाद हाथों की सफाई न करना।
  • संक्रमित व्यक्ति के फफोले और फूंसियों को छूना।


लक्षणों की पहचान

लक्षण कैसे होते हैं?

  • सबसे पहले लक्षण मुंह में छाले होना है, जो कई हो सकते हैं।
  • पैरों में छाले होना।
  • हाथों में छाले होना।
  • गले में खराश होना।
  • तेज बुखार आना।
  • खांसी होना।
  • बच्चे का चिड़चिड़ा होना।


बचाव के उपाय

डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका सावधानी बरतना है। कोविड के दौरान जैसे नियमों का पालन किया गया था, उसी तरह मरीजों को क्वारंटीन करना चाहिए। मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखना आवश्यक है।


सावधानियों की सूची

दिल्ली के कालकाजी में एक निजी अस्पताल के डॉक्टर सुनील नारायण के अनुसार, इस बीमारी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

  • साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • संक्रमित बच्चों को अलग रखें।
  • बच्चों के खिलौने, बैग और अन्य वस्तुओं को नियमित रूप से सैनिटाइज करें।
  • बच्चों की बोतल, प्लेट और खाने-पीने की चीजें अलग रखें।
  • बच्चों को रूमाल और टिश्यू दें ताकि वे खांसते या छींकते समय मुंह को ढक सकें।