बलूचिस्तान का भारत के प्रति समर्थन: एक नई राजनीतिक दिशा

बलूचिस्तान का ऐलान
बलूचिस्तान ने भारत का नाम लेते हुए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। इस क्षेत्र ने प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सराहना की है। बलूचिस्तान और विश्वभर में बसे छह करोड़ बलूचों ने भारत की हिम्मत की प्रशंसा की है। यह घोषणा तब आई जब भारत ने चीन में हो रही शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
चीन में आयोजित इस बैठक में, रक्षा मंत्रियों की एक बैठक में, चीन और पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र रचने की कोशिश की थी। लेकिन भारत ने इस खेल को पलट दिया। हालांकि, यह दुखद था कि रूस ने भारत के खिलाफ इस षड्यंत्र में कोई आवाज नहीं उठाई। फिर भी, भारत ने अकेले ही चीन और पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया।
बलूचिस्तान की जनता की प्रतिक्रिया
इस घटनाक्रम को देखकर बलूचिस्तान की जनता खुशी से झूम उठी है। रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान ने पहलगाम को आतंकी हमला नहीं माना, लेकिन बलूचों को आतंकवादी माना गया। अंततः, भारत ने सभी षड्यंत्रों को नाकाम कर दिया और इस डाक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। बलूचिस्तान के एक्टिविस्ट मीर यार बलोच ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए वैध प्रयासों को स्वीकार करने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे को नजरअंदाज करना कूटनीतिक धोखा और अंतरराष्ट्रीय अखंडता का उल्लंघन है।
भारत के प्रति बलूचिस्तान का आभार
बलूचिस्तान के लोग इस अवसर पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उनके नेतृत्व के लिए एक आभासी प्रशंसा पत्र प्रस्तुत करते हैं। वे विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। बलूचिस्तान के साठ करोड़ लोग हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में मसौदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने के भारत सरकार के साहसी निर्णय की सराहना करते हैं।
इस स्थिति ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के प्रति दीर्घकालिक और दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाया है।
पाकिस्तान का कब्जा और मानवाधिकारों का उल्लंघन
सत्तर से अधिक वर्षों से बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान सरकार के अवैध और हिंसक कब्जे का सामना कर रहे हैं। हाल के वर्षों में, चीन की सक्रिय मिलीभगत से यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है, जिसके कारण मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ है। बलूच लोग पाकिस्तानी सैन्य बलों की मौजूदगी को अवैध मानते हैं।
वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वे बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के निरंतर कब्जे के खिलाफ आवाज उठाएं और ठोस कार्रवाई करें।