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बसपा कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, निष्पक्ष जांच की मांग

जींद में बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एडीजीपी वाई पुरन कुमार के आत्महत्या मामले की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने इस घटना को जातिवादी मानसिकता का गंभीर उदाहरण बताया और प्रशासन में व्याप्त भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। कार्यकर्ताओं ने न्यायपालिका की गरिमा पर हमले की निंदा की और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की।
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बसपा कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, निष्पक्ष जांच की मांग

बसपा कार्यकर्ताओं की मांग


जींद में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को हरियाणा के एडीजीपी वाई पुरन कुमार के आत्महत्या मामले की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा।


बसपा के प्रदेश सचिव सुरत सिंह, जोन प्रभारी मास्टर जिले सिंह कश्यप और जिला अध्यक्ष राकेश सिवानामाल ने कहा कि 7 अक्टूबर को वाई पुरन कुमार द्वारा की गई आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह जातिवादी मानसिकता का एक गंभीर उदाहरण है, जो प्रशासन में व्याप्त है।


जातिवाद का गंभीर मुद्दा

उनका कहना है कि वाई पुरन कुमार की आत्महत्या का नोट और डाइंग डिकलरेशन यह दर्शाता है कि उच्च अधिकारियों द्वारा उनकी आवाज को दबाया गया। यह केवल एक डाइंग डिकलरेशन नहीं है, बल्कि यह आत्महत्या के लिए उकसाने का स्पष्ट मामला बनता है।


इस घटना पर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है और इसे जातिवादी मानसिकता की शर्मनाक घटना बताया है। यह दर्शाता है कि उच्च पदों पर पहुंचने के बावजूद दलित अधिकारियों को जाति के आधार पर अपमानित किया जाता है।


न्यायपालिका की गरिमा पर हमला

उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच, दोषियों की गिरफ्तारी और उच्चतम न्यायालय की निगरानी की मांग की है। हाल ही में मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना को भी निंदनीय बताया गया है।


यह घटना न्यायपालिका की गरिमा पर हमला है और संविधान की आत्मा को चुनौती देने का प्रयास है। उन्होंने डीजीपी शत्रुजीत कपूर, एसपी रोहतक नरेंद्र बिजारणिया और अन्य अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।


अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई

मुकदमा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम और बीएनएस की धारा 112 के तहत चलाने की मांग की गई है। इस मामले की निगरानी उच्चतम न्यायालय या राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा की जाए।


सीजेआई पर हुए हमले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों को संविधान विरोधी कृत्य के लिए दंडित किया जाए। जाति-आधारित उत्पीडऩ के मामलों में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।