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बांग्लादेश के पूर्व जनरल का भारत के खिलाफ विवादास्पद बयान

बांग्लादेश के पूर्व जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने भारत के खिलाफ एक नया विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने भारत पर बांग्लादेश की राजनीति और संस्कृति में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब तक भारत का प्रभाव रहेगा, बांग्लादेश में स्थायी शांति संभव नहीं है। आजमी का यह बयान उनके परिवार के राजनीतिक इतिहास से भी जुड़ा हुआ है, जो भारत-विरोधी बयानों के लिए जाना जाता है। इस लेख में आजमी के आरोपों और उनके पीछे के विचारधारा पर चर्चा की गई है।
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बांग्लादेश के पूर्व जनरल का भारत के खिलाफ विवादास्पद बयान

बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी का उकसाने वाला बयान


नई दिल्ली: बांग्लादेश के पूर्व जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने भारत के खिलाफ एक बार फिर भड़काऊ बयान दिया है, जिससे तनाव बढ़ गया है। उन्होंने एक वीडियो में आरोप लगाया कि भारत बांग्लादेश की राजनीति, मीडिया और संस्कृति में हस्तक्षेप कर रहा है और कहा कि जब तक भारत का प्रभाव रहेगा, उनके देश में स्थायी शांति संभव नहीं है।


भारत के खिलाफ भड़काऊ आरोप

आजमी ने कहा कि भारत बांग्लादेश को शांति से जीने नहीं देगा। उनका दावा है कि भारत का मीडिया और सांस्कृतिक प्रभाव बांग्लादेश के हितों के खिलाफ है। इसके अलावा, उन्होंने पानी और व्यापारिक असमानता जैसे मुद्दों पर भारत द्वारा बाधाएं उत्पन्न करने का आरोप लगाया।


परिवारिक इतिहास और भारत-विरोध

आजमी का भारत-विरोधी रुख नया नहीं है। उनके पिता, गुलाम आजम, जो जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख थे, को 1971 में हिंदुओं और स्वतंत्रता समर्थक बंगालियों के नरसंहार के लिए दोषी ठहराया गया था। यह विचारधारा आजमी की टिप्पणियों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।


पाकिस्तान के सेना प्रमुख की रणनीति से समानता

आजमी के बयान पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर की रणनीति से मेल खाते हैं, जिसमें भारत को 'हज़ार घावों' के माध्यम से कमजोर करने की बात की गई है। यह नीति आतंकवाद और आंतरिक अस्थिरता के जरिए भारत को कमजोर करने का प्रयास करती है। आजमी का वीडियो इसी सोच को आगे बढ़ाता है।


शेख हसीना सरकार के पतन के बाद की सक्रियता

शेख हसीना सरकार के पतन के बाद, आजमी ने कई विवादास्पद बयान दिए हैं। उन्होंने राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव की मांग की है, यह कहते हुए कि वर्तमान राष्ट्रगान स्वतंत्र बांग्लादेश की भावना को नहीं दर्शाता।


भारत पर दखल के आरोप

आजमी ने यह भी कहा कि 1975 में शेख मुजीब की हत्या के बाद, भारत ने बांग्लादेश के असंतुष्ट समूहों को आश्रय और प्रशिक्षण दिया। उन्होंने 1975 से 1996 तक की हिंसा को इसी हस्तक्षेप का परिणाम बताया और 1997 के शांति समझौते को 'दिखावा' करार दिया।