बांग्लादेश ने शेख हसीना की वापसी की मांग की, भारत पर डाला दबाव
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की मांग
नई दिल्ली/ढाका: बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के कुछ ही घंटों बाद, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से उनकी तुरंत वापसी की औपचारिक मांग की है।
भारत से प्रत्यर्पण की अपील
सोमवार को, बांग्लादेश ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को तुरंत सौंपने का अनुरोध किया। बांग्लादेश का कहना है कि 2013 में दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को ऐसा करना अनिवार्य है।
मौत की सजा का आधार
यह मांग बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल द्वारा पिछले साल देशव्यापी छात्र विद्रोह पर हिंसक कार्रवाई में शेख हसीना और कमाल को 'मानवता के खिलाफ अपराध' में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाए जाने के बाद आई है।
बांग्लादेश का कड़ा बयान
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक सख्त बयान जारी करते हुए कहा, "अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने दोनों को जुलाई नरसंहार के लिए मानवता के खिलाफ अपराध में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है। यदि कोई देश इन फरार दोषियों को पनाह देता है, तो यह एक शत्रुतापूर्ण कृत्य होगा और न्याय की अवहेलना मानी जाएगी।"
भारत की प्रतिक्रिया
प्रत्यर्पण मांग पर भारत की सधी हुई प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की इस मांग पर भारत के विदेश मंत्रालय ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। भारत ने अपने बयान में शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया।
विदेश मंत्रालय ने कहा, "एक करीबी पड़ोसी होने के नाते हम बांग्लादेश में शांति, लोकतंत्र, समावेशिता और राजनीतिक स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम बांग्लादेश में सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से बातचीत करेंगे।"
प्रत्यर्पण संधि का महत्व
क्या है 2013 की प्रत्यर्पण संधि और इसका 'पेंच'?
भारत और बांग्लादेश के बीच 28 जनवरी 2013 को लागू हुई प्रत्यर्पण संधि का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, उग्रवाद और संगठित अपराध से निपटना है। यह संधि उन अपराधों के लिए प्रत्यर्पण की अनुमति देती है जिनमें न्यूनतम सजा एक वर्ष से अधिक हो।
हालांकि, इस संधि में कुछ महत्वपूर्ण अपवाद भी हैं, विशेषकर राजनीतिक अपराधों के लिए प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता। यदि भारत यह मानता है कि प्रत्यर्पण की मांग राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है, तो वह अनुरोध को अस्वीकार कर सकता है।
भारत की स्थिति
भारत का संयमित बयान और प्रत्यर्पण पर सीधी टिप्पणी न करना दर्शाता है कि वह इस मामले को प्रत्यर्पण संधि के राजनीतिक अपवादों के तहत देख सकता है।
