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बांग्लादेश में भारत विरोध की बढ़ती सहमति और सुरक्षा चिंताएं

बांग्लादेश में भारत विरोध की स्थिति गंभीर होती जा रही है, जहां राजनीतिक समूहों में भारत के प्रति एक आम सहमति बन रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की उपस्थिति को लेकर विवाद बढ़ रहा है, और भारत विरोधी तत्वों की सक्रियता चिंता का विषय बन गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त को तलब कर औपचारिक विरोध दर्ज कराया है। जानें इस जटिल स्थिति का भारत के दीर्घकालिक हितों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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बांग्लादेश में भारत विरोध की बढ़ती सहमति और सुरक्षा चिंताएं

बांग्लादेश में भारत विरोध की नई लहर

बांग्लादेश में अब केवल भारत विरोधी उग्रवादी तत्वों की सक्रियता का मुद्दा नहीं रह गया है। बल्कि, वहां भारत विरोध पर एक आम सहमति बनती जा रही है। विभिन्न समूह भारत पर बांग्लादेश की संप्रभुता की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं।


भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे भारत की सुरक्षा चिंताएं भी गहराई पकड़ रही हैं। संकेत मिल रहे हैं कि बांग्लादेश में 12 फरवरी को होने वाले चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक दलों में भारत विरोधी रुख अपनाने की होड़ लग गई है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की भारत में उपस्थिति को वहां के भारत विरोधी तत्वों ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना लिया है। इसी संदर्भ में, जुलाई ओइक्यो नामक संगठन ने ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया।


एक अन्य संगठन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह भारत विरोधी उग्रवादी समूहों को संरक्षण प्रदान करेगा। इन घटनाओं के चलते, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त को तलब किया और औपचारिक विरोध दर्ज कराया। भारत ने यह भी कहा कि ढाका में भारतीय मिशन और वीजा केंद्र की सुरक्षा बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है। कट्टरपंथी तत्वों द्वारा फैलाए गए झूठे नैरेटिव के संदर्भ में, भारत ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने घटनाओं की पूरी जांच नहीं की है और न ही भारत के साथ कोई ठोस सबूत साझा किया है। इस बीच, ढाका में वीजा केंद्र को बंद कर दिया गया है।


बांग्लादेश में बनते हालात को देखते हुए यह सख्ती एक उचित कदम है, लेकिन इससे गंभीर समस्या का समाधान निकलने की संभावना नहीं है। अब बांग्लादेश में केवल भारत विरोधी उग्रवादी तत्वों की सक्रियता का मुद्दा नहीं है, बल्कि राजनीतिक समूहों में भारत विरोध पर एक आम सहमति बन गई है। ये समूह भारत पर बांग्लादेश की संप्रभुता की अनदेखी करने और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा रहे हैं। जब से शेख हसीना को कई मामलों में कठोर सजाएं सुनाई गई हैं, तब से माहौल और बिगड़ गया है। इस स्थिति में संवाद स्थापित करना भी कठिन होता जा रहा है। भारत के दीर्घकालिक हितों के लिए यह स्थिति अनुकूल नहीं है। एक और सीमा पर सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का बढ़ना किसी भी दृष्टि से वांछनीय नहीं है।