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बांग्लादेश में हिंदू परिवारों पर हमले की बढ़ती घटनाएं

बांग्लादेश में हाल ही में दो हिंदू युवकों की हत्या के बाद, हिंदू परिवारों पर हमले की घटनाएं बढ़ गई हैं। पिरोजपुर जिले में पांच घरों में आग लगाई गई, जिसमें परिवार के सदस्य फंस गए थे। स्थानीय पुलिस ने संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, लेकिन आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ईशनिंदा के आरोप अल्पसंख्यकों को डराने का एक साधन बनते जा रहे हैं। जानें इस घटना के बारे में और अधिक जानकारी।
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बांग्लादेश में हिंदू परिवारों पर हमले की बढ़ती घटनाएं

बांग्लादेश में हिंदू परिवारों पर हमले की घटनाएं

ढाका। हाल ही में बांग्लादेश में दो हिंदू युवकों की हत्या के बाद, कम से कम पांच हिंदू परिवारों के घरों में आग लगाने की घटना सामने आई है। यह घटना 27 दिसंबर को पिरोजपुर जिले के दम्रिताला गांव में हुई। परिवार के सदस्यों ने बताया कि आग लगने के समय वे अपने घर के अंदर फंसे हुए थे, क्योंकि दरवाजे बाहर से बंद थे। कुल आठ लोग टिन और बांस की बाड़ को काटकर बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन उनके घर, सामान और पालतू जानवर पूरी तरह से जलकर राख हो गए।


स्थानीय पुलिस ने इस मामले में पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों का कहना है कि आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हमलावरों ने एक कमरे में कपड़े भरकर आग लगाई, जिससे आग तेजी से पूरे घर में फैल गई। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें लोग आग बुझाने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं।


यह ध्यान देने योग्य है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों से संबंधित मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। जून से दिसंबर 2025 के बीच, ऐसे कम से कम 71 मामले दर्ज किए गए हैं। यह जानकारी बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर काम करने वाले संगठन 'ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज' की रिपोर्ट में सामने आई है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमलों के लिए एक ही पैटर्न का पालन किया जा रहा है: पहले सोशल मीडिया पर आरोप, फिर तुरंत गिरफ्तारी, उसके बाद भीड़ का इकट्ठा होना और हिंदू इलाकों पर हमले। अब ईशनिंदा के आरोप अल्पसंख्यकों को डराने और दबाने का एक साधन बनते जा रहे हैं।