बांग्लादेश में हिंदू महिला के साथ बलात्कार: क्या है फजार अली का BNP से संबंध?

बांग्लादेश में बलात्कार की घटना से उभरा आक्रोश
कुमिल्ला जिले में एक 26 वर्षीय हिंदू महिला के साथ बलात्कार की घटना और उसके बाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के कारण बांग्लादेश में व्यापक आक्रोश फैल गया है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब आरोपी फजार अली को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) का समर्थक बताया गया। उच्च न्यायालय ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वायरल वीडियो को तुरंत हटाया जाए, पीड़िता को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए और उसके इलाज की व्यवस्था की जाए।
हाईकोर्ट की कार्रवाई
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। आरोपी फजार अली को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि चार अन्य व्यक्तियों पर वीडियो बनाने और उसे सोशल मीडिया पर फैलाने का आरोप है।
घटना का विवरण
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि वह अपने बच्चों के साथ मायके गई थी। गुरुवार रात, आरोपी फजार अली उसके घर आया और दरवाजा खोलने को कहा। जब उसने मना किया, तो आरोपी ने दरवाजा तोड़कर घर में घुसकर उसके साथ बलात्कार किया। पुलिस के अनुसार, आरोपी का पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन वह पिछले कुछ महीनों से खुद को BNP का कार्यकर्ता बताकर पार्टी कार्यक्रमों में भाग ले रहा था।
फजार अली का BNP से संबंध
सूत्रों के अनुसार, पिछले साल शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद, फजार अली ने खुद को BNP का सदस्य बताना शुरू कर दिया था। उसे BNP के रामचंद्रपुर साउथ यूनियन कार्यालय के उद्घाटन समारोह में 14 दिसंबर को देखा गया था। हालांकि, पार्टी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि फजार अली का BNP से कोई आधिकारिक संबंध है या नहीं।
BNP की प्रतिक्रिया
BNP महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने इस घटना की निंदा की और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि BNP को बदनाम करने के लिए एक खतरनाक साजिश रची जा रही है। उन्होंने यह दावा किया कि पीड़िता एक प्रवासी हिंदू की पत्नी है, लेकिन इस पर कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है।
जनता और मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
घटना के खिलाफ ढाका सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने मार्च निकाला और पीड़िता के प्रति एकजुटता दिखाई। महिला अधिकार संगठन 'नारीपोक्खो' ने नागरिकों से 'चुप्पी तोड़ो, हिंसा का विरोध करो' का आह्वान किया। मानवाधिकार संगठनों जैसे 'आइन ओ सालिश केंद्र' और 'मानुषेर जोन्नो फाउंडेशन' ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी और 'त्वरित सुनवाई व उदाहरणीय सजा' की मांग की।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि वायरल वीडियो को तुरंत सोशल मीडिया से हटाया जाए और पीड़िता को चिकित्सा सहायता व सुरक्षा प्रदान की जाए। अदालत ने जांच एजेंसियों से कहा है कि वे पूरी पारदर्शिता के साथ 15 दिनों के भीतर इस केस की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।