बांग्लादेश में हिंसा के बीच शेख हसीना की सुरक्षा पर चिंता
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा चिंताएं
नई दिल्ली: बांग्लादेश इस समय गंभीर हिंसा का सामना कर रहा है। हाल के दिनों में देश में बढ़ती अराजकता के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वर्तमान स्थिति में वह अपने देश लौटने का जोखिम नहीं उठाएंगी।
राजनीतिक हत्या का खतरा
शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में उनकी जान को खतरा है। एक ईमेल साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'आप मुझसे मेरी राजनीतिक हत्या का सामना करने के लिए मेरी वापसी की मांग नहीं कर सकते।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें अपनी रक्षा करने और वकील चुनने का अधिकार नहीं दिया गया है, जो कि अवामी लीग के खिलाफ प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है।
उन्होंने यह भी बताया कि कुछ कट्टरपंथी समूह खुलेआम हिंसा कर रहे हैं, जिन्होंने भारतीय दूतावास, मीडिया कार्यालयों और अल्पसंख्यकों पर हमले किए हैं। हसीना ने कहा कि वह तभी लौटेंगी जब बांग्लादेश में 'एक वैध सरकार और स्वतंत्र न्यायपालिका' स्थापित होगी।
मोहम्मद यूनुस पर आरोप
हसीना ने मोहम्मद यूनुस की सरकार पर कट्टरपंथियों और अल्पसंख्यकों पर हमले करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा कि सजा पाए आतंकियों को रिहा किया गया है और बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाओं के लिए यूनुस को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) के फैसले की भी आलोचना की, जिसमें उन्हें जुलाई-अगस्त 2024 के विद्रोह से जुड़े मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया गया था। हाल ही में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हुई अशांति का जिक्र करते हुए, उन्होंने अंतरिम सरकार पर व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगाया।
भारत के साथ तनावपूर्ण संबंध
हसीना का मानना है कि अंतरिम शासन के कारण भारत के साथ संबंध भी तनावपूर्ण हो गए हैं। उन्होंने कहा, 'आप जिस तनाव को देख रहे हैं, वह पूरी तरह से यूनुस की देन है,' और यह भी कहा कि भारत के राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं उचित हैं।
