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बांग्लादेश में हिन्दू युवक की हत्या: भीड़ की बर्बरता का वीडियो सामने आया

बांग्लादेश में हिन्दू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या ने देश में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना पर कई प्रमुख हस्तियों ने अपनी चिंता व्यक्त की है। हाल ही में, हत्या से पहले का एक वीडियो सामने आया है, जो दर्शाता है कि किस प्रकार भीड़ ने कानून व्यवस्था को अपने हाथ में ले रखा था। इस वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे दीपू को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और उसके शव को आग लगा दिया। बांग्लादेशी अधिकारियों ने कहा है कि इस हत्या के पीछे कोई ठोस सबूत नहीं है।
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बांग्लादेश में हिन्दू युवक की हत्या: भीड़ की बर्बरता का वीडियो सामने आया

बांग्लादेश में हिन्दू युवक की हत्या का मामला


बांग्लादेश में एक हिन्दू युवक की हत्या ने देश में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना पर कई प्रमुख हस्तियों ने अपनी चिंता व्यक्त की है, जिनमें प्रियंका गांधी और रवीना टंडन शामिल हैं। हाल ही में, दीपू चंद्र दास की हत्या से पहले का एक वीडियो सामने आया है, जो दर्शाता है कि किस प्रकार भीड़ ने पूरे क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले रखा था, और वहां कानून व्यवस्था का कोई पालन नहीं था।


न्यूज ब्रॉडकास्टर ने उस समय का वीडियो जारी किया है, जब दीपू चंद्र दास को बांग्लादेश के मैमनसिंह क्षेत्र में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। वीडियो में एक बड़े दरवाजे के बाहर उत्तेजित भीड़ को देखा जा सकता है। कुछ ही क्षणों में दरवाजा खुलता है और भीड़ दीपू को अपने साथ ले जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये लोग उसी फैक्ट्री के बाहर इकट्ठा हुए थे, जहां दीपू काम करता था।


ईशनिंदा के आरोप में हत्या


गुरुवार को दीपू को ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीटकर मार डाला। हत्या के बाद, उसके शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी गई। कई रिपोर्टों में यह कहा गया है कि यदि पुलिस ने हस्तक्षेप किया होता, तो दीपू की जान बचाई जा सकती थी। पुलिस ने भीड़ का सामना करने के बजाय दीपू को उनके हवाले कर दिया। बांग्लादेशी अधिकारियों ने कहा है कि भीड़ के दावों का समर्थन करने वाला कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो सके कि दीपू ने ईशनिंदा की थी।


तस्लीमा ने साझा किया वीडियो


दीपू की हत्या का वीडियो प्रसिद्ध लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने लिखा कि दीपू दास को हिन्दू-विरोधियों ने उसकी फैक्ट्री से उठाया। दीपू ने कोई अपराध नहीं किया था। अफवाहों के कारण उसे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया और पुलिस को बिना बताए दरवाजा खोला गया। तस्लीमा ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसी तरह का मामला उत्सव मंडल के साथ भी हुआ था। बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ बढ़ती नफरत एक गंभीर चिंता का विषय है।