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बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया सितंबर के पहले पखवाड़े में पूरी करने का निर्देश

मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि वे राज्य के व्यावसायिक बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया को सितंबर के पहले पखवाड़े तक पूरा करें। उन्होंने नीलामी की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उपायुक्तों को नई नीति को समझने और प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। बालू घाटों को दो श्रेणियों में बांटा गया है, और नीलामी प्रक्रिया में खान विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर बालू उपलब्ध कराना और अवैध कारोबार पर रोक लगाना है।
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बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया सितंबर के पहले पखवाड़े में पूरी करने का निर्देश

बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया

सितंबर के पहले पखवारे तक बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया को पूरा करें


रांची: मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि वे राज्य के सभी व्यावसायिक बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया को सितंबर के पहले पखवाड़े तक समाप्त कर लें। उन्होंने कहा कि उपायुक्तों को नीलामी से पहले बालू घाटों की नई नीति को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए, ताकि नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और कोई तकनीकी समस्या उत्पन्न न हो।


इसके लिए उन्होंने खनन अधिकारियों और उपायुक्तों को आवश्यक जानकारी के लिए प्रशिक्षण लेने पर जोर दिया। उनका उद्देश्य यह है कि उपायुक्त पूरी तैयारी और स्पष्टता के साथ नीलामी को संपन्न कर सकें, जो राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नई बालू नीति का लक्ष्य उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर बालू उपलब्ध कराना और अवैध बालू कारोबार पर रोक लगाना है। इसके अलावा, अन्य राज्यों से बालू की आवक को भी कम करना है। यह जानकारी उन्होंने बुधवार को बालू घाटों की नीलामी के संबंध में उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साझा की।


खनन सचिव अरवा राजकमल और खान निदेशक राहुल सिन्हा ने बताया कि बालू घाटों की नीलामी में खान विभाग और उपायुक्तों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।


इसलिए सभी उपायुक्तों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और पूरी तैयारी के साथ नीलामी प्रक्रिया को संपन्न करना चाहिए। उन्होंने उपायुक्तों को नीलामी प्रक्रिया का मॉक ड्रिल करने की सलाह दी और नीलामी में भाग लेने वालों को भी पूरी जानकारी देने को कहा। यदि आवश्यक हो, तो हेल्पलाइन भी उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया।


उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर के बाद बालू घाटों से खनन पर ग्रीन ट्रिब्यूनल का प्रतिबंध समाप्त होगा। यदि नीलामी समय पर पूरी हो जाती है, तो खनन समय पर शुरू होगा और राज्य में बालू की कमी नहीं होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बालू की कीमत का निर्धारण सरकार नहीं करेगी, लेकिन वैध कारोबार की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाएगी। उपायुक्तों को यह अधिकार होगा कि वे नियमों का पालन न करने वाले ठेकेदार का ठेका रद्द कर सकें।


बालू घाटों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले बालू घाट शामिल हैं, जिनका संचालन ग्राम सभा के माध्यम से होगा। ऐसे 374 बालू घाट हैं। दूसरी श्रेणी में पांच हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले बालू घाटों की नीलामी होगी। इसके लिए छोटे और बड़े बालू घाटों को मिलाकर कुल 60 समूह बनाए गए हैं।


किसी भी व्यक्ति को एक हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल का बालू घाट नहीं दिया जाएगा और दो से अधिक समूह का ठेका भी नहीं दिया जाएगा। इससे पहले, बालू घाटों की नीलामी की पूरी प्रक्रिया को पीपीटी के माध्यम से उपायुक्तों के साथ साझा किया गया। खनन से जुड़े पर्यावरण मुद्दों पर सिया के सदस्य राजीव लोचन बख्शी ने विस्तार से जानकारी दी। जैप आइटी के प्रतिनिधियों ने नीलामी की तकनीकी प्रक्रिया को स्पष्ट किया, ताकि किसी प्रकार की उलझन न रहे।