बिलावल भुट्टो का विवादास्पद बयान: भारत को प्रत्यर्पण पर नई बहस
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने भारत को प्रत्यर्पण के मुद्दे पर एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसने भारत-पाक संबंधों में नई राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। उनके इस बयान को कुछ लोग नरम नीति का संकेत मानते हैं, जबकि विपक्ष इसे राष्ट्रहित के खिलाफ बताते हैं। पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच यह बयान आया है। जानें इस बयान के पीछे की राजनीति और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
Jul 7, 2025, 12:47 IST
| 
बिलावल भुट्टो का बयान और उसके प्रभाव
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है जिसने भारत-पाक संबंधों में एक बार फिर से राजनीतिक सरगर्मी पैदा कर दी है। उन्होंने कहा है कि यदि किसी व्यक्ति पर जांच के दायरे में आने वाले गंभीर आरोप हों और भारत उसकी मांग करे, तो उसे भारत को सौंपा जा सकता है। इस बयान को जहां एक ओर कुछ लोग एक "नरम पड़ती नीति" के संकेत के तौर पर देख रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में विपक्ष और कट्टरपंथी हलकों में यह बयान ‘राष्ट्रहित के खिलाफ’ बताया जा रहा है。
हम आपको बता दें कि बिलावल का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान आंतरिक अस्थिरता, आर्थिक बदहाली और बढ़ते आतंकी नेटवर्क से जूझ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की छवि लगातार खराब हो रही है और FATF जैसे मंचों पर उस पर निगरानी की तलवार लटकी हुई है। ऐसे में भारत के प्रति कुछ हद तक सकारात्मक संकेत देने की कोशिश की जा रही है ताकि कूटनीतिक दबाव को कुछ कम किया जा सके।
इसे भी पढ़ें: India-Pakistan के संबंध भले तनावपूर्ण हों मगर Backdoor Trade जारी है, वो हमारी दवा, मसाले और चाय ले रहे हैं और हम कपड़े मंगवा रहे हैं
साथ ही भारत के साथ प्रत्यर्पण पर सार्वजनिक रूप से ऐसा बयान देना यह दिखाता है कि पाकिस्तान की युवा राजनीतिक पीढ़ी, विशेषकर बिलावल भुट्टो जैसे नेता, वैश्विक दबावों को समझते हुए यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाना चाहते हैं। परंतु यह सवाल भी उठता है कि क्या यह बयान वास्तव में नीति परिवर्तन का संकेत है या फिर यह केवल एक "छवि निर्माण" की रणनीति भर है? हम आपको याद दिला दें कि हाल ही में बिलावल ने सिंधु जल संधि को भारत द्वारा स्थगित किये जाने के मुद्दे पर कहा था कि यदि पानी नहीं बहेगा तो खून बहेगा।
दूसरी ओर, बिलावल के बयान के तुरंत बाद पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी PTI और कई कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने इसे "राष्ट्रविरोधी" करार दिया। उनका आरोप है कि भुट्टो परिवार भारत के साथ अनावश्यक नरमी दिखा रहा है और देश की सुरक्षा को दांव पर लगा रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान की सेना के अनौपचारिक हलकों से भी इस बयान को लेकर अप्रसन्नता जताई गई है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने बिलावल भुट्टो जरदारी को राजनीति में अपरिपक्व बताते हुए उनके बयान के लिए आलोचना की है।
हम आपको बता दें कि ‘डॉन’ समाचार पत्र की एक खबर के अनुसार, बिलावल ने शुक्रवार को कहा था कि उनके देश को विश्वास बहाली के उपाय के रूप में ‘जांच के दायरे में आए व्यक्तियों’ को भारत को प्रत्यर्पित करने में कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते नयी दिल्ली इस प्रक्रिया में सहयोग करने की इच्छा दिखाए। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल ने ‘अल जजीरा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘हम जिन मुद्दों पर चर्चा करते हैं, आतंकवाद उनमें से एक है और मुझे यकीन है कि पाकिस्तान एक व्यापक वार्ता के तौर पर इनमें से किसी भी चीज का विरोध नहीं करेगा।’’ लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) सरगना हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) सरगना मसूद अजहर को संभावित समझौते और सद्भावनापूर्ण रुख के तहत भारत को प्रत्यर्पित करने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए बिलावल ने यह टिप्पणी की थी।
हम आपको बता दें कि राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद दोनों को पाकिस्तान ने प्रतिबंधित कर रखा है, जबकि 26/11 मुंबई आतंकी हमले का मुख्य षड्यंत्रकारी हाफिज सईद वर्तमान में आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए 33 साल की सजा काट रहा है। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित अजहर को भी प्राधिकरण ने प्रतिबंधित कर रखा है। विपक्ष का कहना है कि बिलावल का प्रस्ताव गलत है और पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है तथा ऐसे बयान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश को अपमानित करते हैं। पाकिस्तानी विपक्ष का कहना है कि हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि बिलावल भारत को खुश करने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं।’’
इस बीच, हाफिज सईद के बेटे ने भी बिलावल की टिप्पणी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बिलावल भुट्टो को पाकिस्तानियों के प्रत्यर्पण के बारे में बात नहीं करनी चाहिए थी। उनका बयान देश की नीति, राष्ट्र हित और संप्रभुता के खिलाफ है और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।’’ हाफिज सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद ने रविवार को लाहौर में एक बयान में कहा, ‘‘बिलावल भुट्टो या तो जमीनी हकीकत को नहीं जानते या दुश्मन के विमर्श को बढ़ावा दे रहे हैं।’’ उन्होंने सवाल किया कि क्या देश का कोई प्रतिनिधि अपने नागरिकों को दुश्मन देश को सौंपने की बात कर सकता है? तल्हा ने अपने पिता का बचाव करते हुए कहा कि सईद का कोई भी कदम पाकिस्तान के खिलाफ नहीं है। रिपोर्टों के मुताबिक सईद 2019 से लाहौर की कोट लखपत जेल में है। हम आपको बता दें कि सईद को आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण मामलों में दोषी ठहराया गया था। उसका आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे।
इस बीच, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान बिलावल की "नव-युवक छवि" को प्रगट करने की कोशिश भी हो सकती है, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक परिपक्व और जिम्मेदार नेता के रूप में उभर सकें। उधर, भारत की ओर से अभी तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े विशेषज्ञों ने इसे "सैद्धांतिक रूप से सकारात्मक" बताया है। हम आपको बता दें कि भारत वर्षों से पाकिस्तान से वांछित आतंकवादियों और अपराधियों के प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है, जिनमें दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद जैसे नाम शामिल हैं। यदि पाकिस्तान वाकई गंभीरता से इस दिशा में कुछ कदम उठाता है, तो यह दक्षिण एशिया में सुरक्षा सहयोग की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रगति होगी। लेकिन भारत यह भी भलीभांति जानता है कि पाकिस्तान की सियासत और ब्यूरोक्रेसी में "बयान और नीति" के बीच गहरी खाई होती है।
बहरहाल, बिलावल भुट्टो का यह बयान भारत-पाक संबंधों में एक असामान्य पहल के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसकी वास्तविकता ज़मीनी स्तर पर लागू होने पर ही परखी जा सकेगी। यह बयान जहां पाकिस्तान में नई पीढ़ी की सोच का संकेत देता है, वहीं इससे भारत को कोई तात्कालिक लाभ मिलने की संभावना कम ही है। साथ ही इस मुद्दे पर हो रही राजनीति दरअसल पाकिस्तान के अंदरूनी सत्ता संघर्ष, विचारधारात्मक टकराव और कूटनीतिक अस्थिरता को दर्शाती है。