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बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को अमेरिकी सांसदों की कड़ी चेतावनी

हाल ही में वाशिंगटन में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन द्वारा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। शेरमैन ने जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई का मुद्दा उठाया। उन्होंने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर भी चिंता व्यक्त की। इस दौरान भारतीय सांसदों का एक दल भी वाशिंगटन में था, जो भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित कर रहा था। यह घटनाक्रम अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को और बढ़ा सकता है।
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बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को अमेरिकी सांसदों की कड़ी चेतावनी

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की आलोचना

बिलावल भुट्टो जरदारी: हाल ही में वाशिंगटन में एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन द्वारा तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा। शेरमैन ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान को इस 'घृणित संगठन' को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। शेरमैन ने 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के लिए जैश को जिम्मेदार ठहराया, जो उनके निर्वाचन क्षेत्र के निवासी थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'मैंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई की महत्ता पर जोर दिया। जिसने 2002 में मेरे निर्वाचन क्षेत्र के डैनियल पर्ल की हत्या की थी।'


डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई की मांग

शेरमैन ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से यह भी अनुरोध किया कि वे अपनी सरकार पर डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई के लिए दबाव डालें। डॉ. अफरीदी, जिन्होंने 2011 में ओसामा बिन लादेन को पकड़ने में सीआईए की सहायता की थी, वर्तमान में पाकिस्तान की जेल में 33 साल की सजा काट रहे हैं। उन्होंने एक फर्जी पोलियो टीकाकरण अभियान के माध्यम से बिन लादेन के परिवार के डीएनए नमूने एकत्र किए थे। शेरमैन ने कहा, 'डॉ. अफरीदी को रिहा करना 9/11 के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।' यह मुद्दा अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को और बढ़ा रहा है, क्योंकि अफरीदी को अमेरिका में हीरो माना जाता है जबकि पाकिस्तान में उन्हें देशद्रोही के रूप में देखा जाता है।


धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर जोर

शेरमैन ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई, हिंदू और अहमदिया मुसलमानों को अपने धर्म का पालन करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बिना डर, उत्पीड़न या भेदभाव के भाग लेने की अनुमति होनी चाहिए।' यह बयान पाकिस्तान की आंतरिक नीतियों पर गंभीर टिप्पणी है, जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी छवि को प्रभावित कर सकता है।


भारत की कूटनीतिक बढ़त

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का दौरा उसी समय हुआ जब कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय सांसदों का एक दल भी वाशिंगटन में था। भारतीय दल ने पाहलगाम आतंकी हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित किया। यह संयोग दर्शाता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपनी बात को वैश्विक मंच पर रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन शेरमैन का कड़ा रुख पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है।