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बिहार और पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण: चुनाव आयोग की नई पहल

केंद्रीय चुनाव आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें विवाद भी उत्पन्न हुआ है। अब, पश्चिम बंगाल में भी इसी प्रक्रिया की घोषणा की गई है। बिहार में लगभग 65 लाख अपात्र मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे। जानें इस प्रक्रिया के पीछे की वजहें और संभावित विवादों के बारे में।
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मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण

केंद्रीय चुनाव आयोग ने बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया की घोषणा की थी। हालांकि, इस मुद्दे पर चुनाव आयोग और विपक्षी दलों के बीच टकराव देखने को मिला। इसके बावजूद, आयोग ने इस कार्य को काफी हद तक पूरा कर लिया है।

अब, बिहार के बाद, चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र भेजा है और राज्य के चुनाव अधिकारियों को विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया है।

बिहार में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है, और पश्चिम बंगाल में इस नई घोषणा से विवाद और बढ़ने की संभावना है। दूसरी ओर, बिहार में यह प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। इस संदर्भ में, 1 अगस्त को संशोधित मतदाता सूची जारी की गई थी।

इस पुनरीक्षण के माध्यम से लगभग 65 लाख अपात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे, जिनमें से अधिकांश पहले ही अपात्र घोषित किए जा चुके हैं। इनमें से कई मतदाता मृत हैं, कुछ अन्य राज्यों में चले गए हैं, और कुछ के नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज हैं।