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बिहार की राजनीति में हलचल: रोहिणी आचार्य ने छोड़ी राजनीति और परिवार से दूरी बनाई

बिहार की राजनीति में शनिवार को एक महत्वपूर्ण घटना घटी जब रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस फैसले के पीछे के कारणों का उल्लेख किया। यह कदम आरजेडी के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर जब चुनाव परिणामों के बाद पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा है। जानें इस घटनाक्रम का बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा और पार्टी के अन्य नेता इस पर क्या प्रतिक्रिया देंगे।
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बिहार की राजनीति में हलचल: रोहिणी आचार्य ने छोड़ी राजनीति और परिवार से दूरी बनाई

रोहिणी आचार्य का राजनीतिक संन्यास

पटना - बिहार की राजनीतिक स्थिति में शनिवार को एक बड़ा मोड़ आया, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति से अलविदा लेने का निर्णय लिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने परिवार से भी दूरी बनाने की घोषणा की।


रोहिणी आचार्य ने बताया कि संजय यादव और रमीज ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था। मैं सभी जिम्मेदारियों का दोष अपने ऊपर ले रही हूं।"


उनके इस निर्णय ने न केवल आरजेडी में, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस मामले पर आरजेडी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू यादव, तेजस्वी यादव और अन्य पार्टी नेता इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। रोहिणी आचार्य का यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के दूसरे दिन आया, जिसमें राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को भारी हार का सामना करना पड़ा था।


इस चुनाव में राजद को केवल 25 सीटें मिली हैं, जबकि महागठबंधन की एक अन्य प्रमुख पार्टी कांग्रेस ने महज 6 सीटों पर जीत हासिल की। दूसरी ओर, भाजपा ने इस बार बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसने 89 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा और जदयू के गठबंधन वाले एनडीए को इस बार बंपर बहुमत मिला है।