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बिहार की राजनीति: हकीकत और फसाने के बीच का संघर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में रिकॉर्ड मतदान ने राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है। इस बार महिलाओं की भागीदारी और युवा मतदाताओं की जागरूकता ने चुनावी समीकरण को प्रभावित किया है। एनडीए और महागठबंधन के बीच की प्रतिस्पर्धा और जन सुराज का उदय इस चुनाव को और भी दिलचस्प बनाता है। जानें कि क्या यह बदलाव की लहर है या फिर पुरानी साख का पुनरुत्थान। 14 नवंबर को परिणामों का इंतजार है।
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बिहार की राजनीति: हकीकत और फसाने के बीच का संघर्ष

बिहार में चुनावी परिदृश्य


राकेश सिंह | बिहार में चुनाव हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, जहां विभिन्न दावे किए जाते हैं, लेकिन असली तस्वीर चुनाव के बाद ही सामने आती है। इस बार भी यहां की राजनीति हकीकत और फसाने के बीच उलझी हुई है। विधानसभा चुनाव-2025 का पहला चरण समाप्त हो चुका है और मतदान का आंकड़ा शानदार रहा है। 6 नवंबर को 121 सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें 64.66 प्रतिशत की भागीदारी दर्ज की गई, जो बिहार के इतिहास में सबसे अधिक है। यह दर्शाता है कि बिहार के मतदाता इस बार अधिक जागरूक और उत्साहित हैं। अब सवाल यह है कि इस रिकॉर्ड मतदान का क्या अर्थ है? क्या यह बदलाव की लहर है या फिर चुप्पी में छिपे मतदाताओं की ताकत जो किसी एक पक्ष को लाभ पहुंचा रही है?


महिलाओं की भागीदारी और मतदान का विश्लेषण

राकेश सिंह, प्रबंध संपादक, आईटीवी नेटवर्क।


इतनी अधिक मतदान की वजह क्या है? चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 3.75 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 2.42 करोड़ ने वोट डाले, जो 2020 के पहले चरण से लगभग 9 प्रतिशत अधिक है। इसके पीछे कई कारण हैं। एक तो छठ पूजा के बाद कई प्रवासी श्रमिक और युवा गांवों में रुके हुए थे, जिन्होंने मतदान किया। दूसरी ओर, महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही, जहां पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं मतदान केंद्रों पर पहुंचीं। चुनाव आयोग ने भी इस बात की पुष्टि की है कि महिलाओं ने इस बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अब यह देखना है कि महिलाओं का वोट किसे जाएगा। यह एक बड़ा सवाल है। बिहार में महिलाएं हमेशा से नीतीश कुमार की समर्थक रही हैं, जिन्होंने उनके लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जैसे साइकिल योजना और शराबबंदी। 2020 में भी महिलाओं ने एनडीए का समर्थन किया था।


गठबंधनों के दावे और चुनावी स्थिति

अब दोनों गठबंधनों के दावों पर चर्चा करते हैं। एनडीए, जिसमें बीजेपी, जेडीयू और अन्य छोटे दल शामिल हैं, का कहना है कि यह उच्च मतदान उनकी जीत का संकेत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एनडीए बिहार में फिर से सरकार बनाएगी। दूसरी ओर, महागठबंधन, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं, का कहना है कि यह रिकॉर्ड टर्नआउट बदलाव की चाह का संकेत है। ग्राउंड रिपोर्ट्स मिली-जुली हैं। कुछ क्षेत्रों में एनडीए मजबूत दिख रहा है, जबकि मगध और भोजपुर में आरजेडी की पकड़ मजबूत है।


जन सुराज का उदय

प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज चुनाव में डेब्यू कर रही है। उन्होंने कहा कि यह उच्च मतदान बदलाव का संकेत है। जन सुराज 243 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उन्होंने 40 महिलाओं को टिकट दिए हैं। उनका फोकस युवाओं, प्रवासियों और महिलाओं पर है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि उनका प्रभाव सीमित हो सकता है।


निष्कर्ष

कुल मिलाकर, यह चुनाव बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। रिकॉर्ड मतदान दर्शाता है कि लोग अब चुप नहीं बैठे हैं, वे बदलाव चाहते हैं। लेकिन यह बदलाव किस दिशा में होगा? नीतीश कुमार की पुरानी साख, मोदी की लोकप्रियता या तेजस्वी यादव की युवा अपील? महिलाओं का वोट निर्णायक साबित होगा। अब देखना है कि 14 नवंबर को परिणाम क्या होते हैं।