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बिहार के टेटगामा गांव में अंधविश्वास के चलते पांच लोगों की हत्या

बिहार के टेटगामा गांव में एक भयानक घटना में अंधविश्वास के चलते एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने पूरे गांव को हिला कर रख दिया है, जहां लोग अपने घर छोड़कर भाग रहे हैं। प्रशासन की लापरवाही और अशिक्षा के कारण यह घटना हुई, जिससे मानवता पर सवाल उठता है। क्या इस कांड को रोका जा सकता था? जानें इस घटना के पीछे की सच्चाई और प्रशासन की भूमिका के बारे में।
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बिहार के टेटगामा गांव में अंधविश्वास के चलते पांच लोगों की हत्या

टेटगामा गांव में दिल दहला देने वाली घटना

टेटगामा घटना: बिहार के टेटगामा गांव में एक भयानक घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है। अंधविश्वास के कारण एक ही परिवार के पांच सदस्यों को गांव के बीचोंबीच पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया। इस दुखद घटना के बाद गांव में सन्नाटा छा गया है। बताया जा रहा है कि अधिकांश लोग अपने घर छोड़कर चले गए हैं, और जो बचे हैं, वे कुछ भी बोलने से हिचकिचा रहे हैं।


घटना की जानकारी क्यों नहीं मिली?

किसी को भनक क्यों नहीं लगी?

घटना के बाद प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार जब गांव पहुंचे और पूछा कि “पांच लोगों को जलाया गया, किसी को कैसे पता नहीं चला?”, तो गांव के सभी लोग चुप हो गए। उन्होंने वार्ड सदस्य, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मुखिया और पंचायत कर्मियों से सवाल किया कि आखिर इतने बड़े हादसे की जानकारी किसी को क्यों नहीं हुई? कमिश्नर ने यह भी कहा कि यह घटना मनरेगा भवन के पास हुई, जहां सरकारी कर्मचारी मौजूद रहते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि वहां कार्यरत किसी को कुछ क्यों नजर नहीं आया? क्या यह लापरवाही है, या फिर कुछ और?


प्रशासन की भूमिका पर सवाल

अंतिम संस्कार में दिखा प्रशासन का चेहरा

मंगलवार को मृतकों का पोस्टमार्टम होने के बाद उनके शवों का दाह-संस्कार कप्तान पुल के पास किया गया। इस मौके पर डीएम अंशुल कुमार भी मौजूद थे। इतने बड़े कांड के बाद प्रशासन जागा है, लेकिन सवाल यह है कि घटना के पहले कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया?


अशिक्षा और अंधविश्वास का प्रभाव

अशिक्षा और अंधविश्वास बना काल

कल्याण विभाग के उप निदेशक ने कहा कि इस भयावह घटना की जड़ में अशिक्षा और अंधविश्वास है। उन्होंने बताया कि जब तक ग्रामीणों को शिक्षित और जागरूक नहीं किया जाएगा, ऐसी घटनाएं रोक पाना मुश्किल है। लोगों को समझाना होगा कि अंधविश्वास किसी भी समस्या का हल नहीं, बल्कि बर्बादी की जड़ है।


क्या यह घटना रोकी जा सकती थी?

क्या समय रहते रोका जा सकता था कांड?

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि और सरकारी अमला सतर्क होता तो शायद एक परिवार को यूं न जलाया जाता। यह घटना केवल पांच लोगों की हत्या नहीं, बल्कि मानवता की हार है। अब समय है कि ऐसे मामलों से सबक लेकर जागरूकता और ज़िम्मेदारी को प्राथमिकता दी जाए। टेटगामा की घटना हमें बताती है कि अंधविश्वास आज भी लोगों की जान ले सकता है। अगर समय रहते गांव और प्रशासन सतर्क होता तो इस कांड को टाला जा सकता था। अब ज़रूरत है कि हर गांव तक शिक्षा, जागरूकता और इंसानियत की रोशनी पहुंचे।