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बिहार चुनाव 2025: ओवैसी का इंडिया गठबंधन में शामिल होना और लालू यादव की अनदेखी

बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच, असदुद्दीन ओवैसी इंडिया गठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि लालू यादव उनकी अनदेखी कर रहे हैं। मुस्लिम वोटर्स की अहमियत और राजनीतिक समीकरणों पर चर्चा करते हुए, यह जानना दिलचस्प होगा कि ओवैसी की रणनीति क्या रंग लाएगी। क्या आरजेडी और एनडीए की रणनीतियाँ इस चुनाव में सफल होंगी? जानिए इस लेख में।
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बिहार चुनाव 2025: ओवैसी का इंडिया गठबंधन में शामिल होना और लालू यादव की अनदेखी

ओवैसी की रणनीति और लालू यादव की अनदेखी

ओवैसी की रणनीति: बिहार में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने वाले हैं, और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी इंडिया गठबंधन में शामिल होने की इच्छा रखते हैं। इस संदर्भ में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने लालू यादव को पत्र लिखा है। यह सवाल उठता है कि ओवैसी, जो हमेशा अपनी पार्टी के लिए काम करते हैं, इस बार गठबंधन में शामिल होने की कोशिश क्यों कर रहे हैं।


बिहार में मुस्लिम वोटों पर सभी की नजर है, क्योंकि ये वोट 50 से अधिक सीटों पर महत्वपूर्ण हैं। मुस्लिम समुदाय बिहार की कुल जनसंख्या का 17 प्रतिशत है और वे कभी भी एकतरफा वोट नहीं डालते। मुस्लिम वोटर्स ने जेडीयू, आरजेडी और चिराग पासवान की पार्टियों को वोट दिया है। इस बार ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोटर्स को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है, जिससे उन्हें बीजेपी की बी टीम कहा जाने लगा है। हालांकि, ओवैसी और बीजेपी इसे हास्यास्पद मानते हैं।


इंडिया गठबंधन को मुस्लिम वोटों का समर्थन

बिहार में मुस्लिम वोटों का पैटर्न


आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम वोटर्स ने अब तक सबसे अधिक इंडिया गठबंधन को समर्थन दिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में 87 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया था, जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा 76 प्रतिशत था। बिहार में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वोटिंग का पैटर्न भिन्न रहता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने आरजेडी को नुकसान पहुंचाया, जिससे जेडीयू को लाभ हुआ।


आरजेडी की स्थिति और ओवैसी का प्रभाव

आरजेडी की मजबूती और ओवैसी का प्रभाव


आरजेडी का मानना है कि मुस्लिम वोटर्स हमेशा उनकी पार्टी को वोट देते हैं। लालू यादव ने लंबे समय से एमवाई समीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि, पिछले चुनाव में ओवैसी के चार में से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लालू यादव ओवैसी को बड़ी चुनौती नहीं मानते। सीटों के बंटवारे को लेकर भी खींचतान जारी है।


एनडीए की रणनीति

एनडीए की मुस्लिम वोटर्स को मनाने की कोशिश


एनडीए नहीं चाहती कि ओवैसी उनके साथ आएं, क्योंकि इससे मुस्लिम वोटर्स में बिखराव हो सकता है। जेडीयू ने वक्फ बिल का समर्थन किया है, जिससे मुस्लिम वोटर्स का समर्थन खोने का खतरा है। जेडीयू का मानना है कि नए वक्फ कानून से पसमांदा मुस्लिमों को लाभ होगा। अब देखना यह है कि जेडीयू और एनडीए की यह रणनीति इंडिया गठबंधन के खिलाफ कितनी प्रभावी साबित होती है।