बिहार चुनाव में ओवैसी की नई रणनीति: 30 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी

ओवैसी की चुनावी रणनीति
बिहार चुनाव को लेकर आम धारणा यह है कि असदुद्दीन ओवैसी को इस बार अधिक महत्व नहीं मिलेगा। पिछले चुनाव में उनकी पार्टी ने पांच विधायक जीते थे, लेकिन इस बार उनकी जीत की संभावना कम मानी जा रही है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि इस बार एनडीए के जीतने पर भाजपा के मुख्यमंत्री बनने की संभावना जताई जा रही है। यदि एनडीए की ओर से नीतीश कुमार दावेदार होते, तो मुस्लिम समुदाय को चिंता नहीं होती। लेकिन भाजपा के मुख्यमंत्री बनने की संभावना ने उनकी चिंताओं को बढ़ा दिया है। ओवैसी भी इस स्थिति को भली-भांति समझते हैं, इसलिए उनकी पार्टी ने राजद और कांग्रेस से गठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव रखा था, जिसे दोनों ने ठुकरा दिया।
चुनाव लड़ने की तैयारी
अब ओवैसी 30 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। वे सीमांचल की सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुके हैं और उम्मीदवारों की घोषणा भी शुरू कर दी है। बहादुरगंज से मोहम्मद तौसिफ आलम और बायसी से गुलाम सरवर को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा, पूर्वी चंपारण की ढाका सीट पर राणा रंजीत को टिकट दिया गया है। वे मिथिलांचल की चार सीटों पर भी चुनाव लड़ेंगे। दरभंगा की शहर सीट के अलावा, जाले और मधुबनी के बिस्फी से भी उम्मीदवार उतारने की योजना है। यदि वे सीमांचल, मिथिलांचल, तिरहुत और सारण में मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम या मजबूत हिंदू उम्मीदवार उतारते हैं, तो यह राजद और महागठबंधन की अन्य पार्टियों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।