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बिहार में CBI की बड़ी कार्रवाई: फर्जी GST रिफंड घोटाले में छापेमारी

बिहार में CBI ने एक बड़े फर्जी GST रिफंड घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें पूर्व अतिरिक्त आयुक्त और अन्य अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है। इस मामले में 100 करोड़ रुपये के फर्जी निर्यात बिलों का उपयोग किया गया। CBI ने कई स्थानों पर छापेमारी की और महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए। जानें इस घोटाले की पूरी कहानी और अधिकारियों की भूमिका के बारे में।
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बिहार में CBI की बड़ी कार्रवाई: फर्जी GST रिफंड घोटाले में छापेमारी

बिहार में CBI की छापेमारी

बिहार समाचार: बिहार की राजधानी पटना में कार्यरत एक पूर्व अतिरिक्त आयुक्त (सीमा शुल्क) के खिलाफ CBI ने महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। यह कार्रवाई फर्जी GST रिफंड घोटाले से संबंधित है, जिसमें लगभग 100 करोड़ रुपये के नकली निर्यात बिल शामिल हैं। CBI ने शनिवार को पटना, पूर्णिया, जमशेदपुर, नालंदा और मुंगेर सहित बिहार-झारखंड के 7 स्थानों पर छापे मारे। जानकारी के अनुसार, इस मामले में पूर्व अतिरिक्त आयुक्त, कस्टम्स पटना, जयनगर और भीमनगर LCS में तैनात एक पूर्व अधीक्षक, निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों और कुल 29 अन्य व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। CBI ने इस दौरान 7 सोने की ईंटें (प्रत्येक 100 ग्राम), मोबाइल फोन, डिजिटल सबूत और अन्य संदिग्ध दस्तावेज जब्त किए हैं।


घोटाले का विवरण

क्या है पूरा मामला?


CBI की FIR के अनुसार, अधिकारियों ने टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स के फर्जी निर्यात के माध्यम से GST रिफंड और टैक्स छूट का झूठा दावा किया। यह सब 23 नकली आयात और निर्यात कंपनियों के जरिए किया गया। अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस घोटाले को मंजूरी दी, जिसमें रिश्वत या अन्य व्यक्तिगत लाभ लेने की संभावना जताई गई है। CBI के अनुसार, अधिकारियों ने लगभग 800 करोड़ रुपये का फर्जी निर्यात दिखाया, जिसमें 28% और 18% GST स्लैब वाले सामान शामिल थे। इसके माध्यम से लगभग 100 करोड़ रुपये का फर्जी रिफंड प्राप्त किया गया।


गिरफ्तारी की स्थिति

अब तक नहीं की गिरफ्तारी की पुष्टि


CBI ने इस घोटाले में अब तक किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और नाम सामने आ सकते हैं और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इस मामले में 100-100 ग्राम के 7 सोने के बार, मोबाइल फोन, डिजिटल डेटा और संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए हैं।


मुख्य साजिशकर्ता की पहचान

क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह को भी मुख्य साजिशकर्ता


सीबीआई की FIR में आरोप लगाया गया है कि जयनगर के कस्टम अधीक्षक नीरज कुमार और मनमोहन शर्मा, भीमनगर के तरुण कुमार सिन्हा और राजीव रंजन सिन्हा, तथा अतिरिक्त आयुक्त रणविजय कुमार इस घोटाले में सीधे शामिल थे। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत के बदले फर्जी बिलों को मंजूरी दी, जिससे निर्यातकों को GST रिफंड में भारी लाभ हुआ। FIR में कोलकाता के क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह को भी मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया है।


जांच में खुलासे

जांच के दौरान हुआ बड़ा खुलासा


सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2022-23 के दौरान जयनगर, भीमनगर और भिट्टामोर के लैंड कस्टम स्टेशन (LCS) से नेपाल को टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स के निर्यात में असामान्य वृद्धि देखी गई। यह गतिविधि सामान्य निर्यात प्रवृत्ति से मेल नहीं खा रही थी, जिससे अधिकारियों को संदेह हुआ और बाद में विस्तृत जांच शुरू की गई। CBI की प्रारंभिक जांच के अनुसार, करीब 30 निर्यातकों ने इन तीन सीमाई कस्टम स्टेशनों से फर्जी निर्यात दिखाकर GST रिफंड हासिल किया। इन निर्यातकों ने कथित रूप से 10 लाख रुपये से कम मूल्य के निर्यात बिल पेश किए, ताकि कस्टम अधीक्षकों को बिना उच्च स्तर की स्वीकृति के उन्हें क्लियर करने का अधिकार मिल सके।