बिहार में अंधविश्वास का खौफनाक चेहरा: एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाया गया

पूर्णिया में अंधविश्वास का जघन्य कृत्य
बिहार के पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव में एक भयानक घटना ने मानवता को झकझोर कर रख दिया है। रविवार रात, गांव के निवासियों ने एक ही परिवार के पांच सदस्यों को खंभे से बांधकर पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया। इस दिल दहला देने वाली घटना में पति-पत्नी, उनका बेटा, बहू और मां शामिल हैं।
12 वर्षीय सोनू का बयान
इस हत्याकांड का एकमात्र गवाह 12 वर्षीय सोनू है, जो मृतक बाबूलाल उरांव का छोटा बेटा है। उसने पुलिस को बताया कि घटना रात करीब 10 बजे शुरू हुई, जब गांव के कई लोग उनके घर पर आकर परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट करने लगे। रात एक बजे, पंचायत के निर्णय के बाद, गांववालों ने बाबूलाल, उनकी पत्नी सीता देवी, मां मो. कातो, बहू रानी देवी और बेटे मनजीत को खंभे से बांधकर आग लगा दी।
सोनू की आंखों देखी
सोनू ने कहा, "मैंने अपनी आंखों से देखा कि मेरे पापा, मां, दादी, भाभी और भाई जल रहे थे। मैं एक कोने में छिपा हुआ था।" उसने बताया कि एक महिला ने उसे चेतावनी दी कि अगर वह भागा नहीं, तो उसे भी जला दिया जाएगा। किसी तरह वह वहां से भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहा।
अंधविश्वास का खौफनाक परिणाम
सूत्रों के अनुसार, बाबूलाल उरांव और उनके परिवार पर तंत्र-मंत्र और डायन विद्या के आरोप लगाए गए थे। इसी संदर्भ में गांव में एक पंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमें लगभग 300 लोग शामिल हुए थे। पंचायत के निर्णय के बाद ही यह भयानक घटना घटित हुई।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद, पुलिस ने 23 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने कहा है कि जांच तेजी से चल रही है और जल्द ही सभी दोषियों को पकड़ा जाएगा।
गांव में सन्नाटा
इस घटना के बाद गांव में खामोशी छाई हुई है। कोई भी इस विषय पर बात करने को तैयार नहीं है। गांववाले डरे हुए हैं, और प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हो गया है। यह घटना बिहार में अंधविश्वास और भीड़तंत्र की भयावह सच्चाई को उजागर करती है। सवाल यह है कि 21वीं सदी में भी क्या हम न्याय के नाम पर इस तरह की बर्बरता को सहते रहेंगे?