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बिहार में ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति: 24,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य

बिहार में ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत होने जा रही है, जिसमें 2029-30 तक 24,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में, राज्य सरकार ने सौर, पवन, बायोमास और जलविद्युत ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा की स्थिरता सुनिश्चित करने की योजना बनाई है। इस पहल से न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि आम जनता को भी सस्ती बिजली और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। जानें इस ऊर्जा क्रांति के बारे में और कैसे यह बिहार के भविष्य को आकार देगा।
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बिहार में ऊर्जा उत्पादन में बदलाव

बिहार में अगले पांच वर्षों में ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेगा, जो न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति को बदल देगा, बल्कि आम लोगों के जीवन में भी सुधार लाएगा। अब तक, राज्य की बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से कोयला और डीजल जैसे पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता रही है। लेकिन भविष्य की योजनाओं में बिहार को अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखा गया है।


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में, सरकार ने 2029-30 तक लगभग 24,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास, जलविद्युत और कचरे से ऊर्जा उत्पादन शामिल हैं। इसके साथ ही, 6,100 मेगावाट बिजली को भंडारित करने की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे ऊर्जा की स्थिरता सुनिश्चित होगी।


सरकार की योजना के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पहुंच बढ़ाने के लिए सोलर पार्क, फ्लोटिंग सोलर और एग्री-सोलर प्रोजेक्ट्स की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, छतों पर सोलर पैनल लगाने से घरेलू बिजली की खपत में कमी आएगी, जिससे आम परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी। छोटे जल विद्युत परियोजनाओं और बायोमास ऊर्जा से भी काफी मात्रा में बिजली उत्पादन होगा।


बिहार सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए एलएंडटी, एनटीपीसी, अवाडा ग्रुप और एसईसीआई जैसे बड़े उद्योगपतियों के साथ 5,337 करोड़ रुपये के एमओयू किए हैं, जिससे लगभग 2,357 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा का उत्पादन संभव होगा। ऊर्जा मंत्री विजयेंद्र यादव ने इसे राज्य की ऊर्जा स्वायत्तता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।


ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की किफायती दरें सुनिश्चित करने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। किसान अब खेतों में सिंचाई के लिए सस्ती बिजली का लाभ उठा सकेंगे, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसके अलावा, गांवों में छोटे उद्योग और स्टार्टअप भी ऊर्जा की उपलब्धता से मजबूत होंगे।


राज्य सरकार ने निवेशकों के लिए कई प्रोत्साहन नीतियां लागू की हैं, जैसे औद्योगिक भूमि पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट, बिना भूमि उपयोग परिवर्तन के कारोबार शुरू करने की अनुमति और ऊर्जा बैंकिंग जैसी सुविधाएं। यह सब बिहार को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जा रहा है।


इस ऊर्जा क्रांति से आम जनता को भी सीधे लाभ होगा – छतों पर सोलर पैनल से बिजली बिल में कमी, गांवों में बिना जनरेटर के लगातार बिजली, युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर और सरकारी स्कूल, पंचायत भवन तथा अस्पतालों में बेहतर सौर ऊर्जा सुविधाएं। इसके साथ ही, राज्य 2070 तक कार्बन उत्सर्जन में कटौती करके देश के नेट-जीरो लक्ष्य में अपना योगदान देगा।