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बिहार में टेंडर घोटाले की नई परतें: ईडी की जांच जारी

बिहार में टेंडर घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई कंपनियों के दस्तावेजों में हेरफेर का खुलासा किया है। बुडको की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, जबकि कई कंपनियां नियमों की अनदेखी कर ठेके प्राप्त कर रही हैं। क्या यह सब किसी टेंडर माफिया के संरक्षण में हो रहा है? जानें इस मामले की पूरी कहानी और ईडी की जांच के संभावित परिणाम।
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बिहार में टेंडर घोटाले की नई परतें: ईडी की जांच जारी

बिहार में टेंडर घोटाले का खुलासा

Bihar tender scam 2025: बिहार में टेंडर घोटाले की नई परतें सामने आ रही हैं। इस बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच की जिम्मेदारी संभाली है। यह मामला केवल पुराने घोटालों तक सीमित नहीं है, बल्कि वर्तमान में भी नियमों की अनदेखी कर कंपनियों को मनमाने तरीके से ठेके दिए जा रहे हैं। ईडी ने अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक कंपनियों से संबंधित जानकारी नगर विकास विभाग से मांगी है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी जारी है। कई कंपनियां दस्तावेजों में हेरफेर कर करोड़ों के ठेके हासिल कर रही हैं, जबकि विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।


बुडको की भूमिका पर उठते सवाल

बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बुडको) इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। बुडको के माध्यम से शहरों के आधारभूत ढांचे से जुड़े करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट आवंटित किए जाते हैं, लेकिन आरटीआई के जरिए हुए खुलासे ने इस व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


मार्च 2024 में गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (GIDC) से वर्क ऑर्डर नंबर NAO/CO/JHG/945.DT 08/02/2022 की जानकारी मांगी गई थी। 15 मार्च को GIDC के चीफ ऑफिसर द्वारा भेजे गए जवाब के अनुसार, यह कार्य Jalaram Projects Pvt. Ltd. Ahmedabad द्वारा किया गया था, जिसकी कुल राशि 20,84,20,069/- रुपये थी।


7 करोड़ रुपये की हेरफेर

जब यही कंपनी बिहार में बुडको के टेंडर में भाग लेती है, तो जमा किए गए दस्तावेजों में इस कार्य का मूल्य 27,94,63,961/- रुपये दर्शाया गया है। इससे स्पष्ट है कि दस्तावेजों में लगभग 7 करोड़ रुपये की हेरफेर की गई है। बुडको के लोक सूचना पदाधिकारी द्वारा आरटीआई के तहत उपलब्ध कराए गए कागजातों के अनुसार, कंपनी ने फॉर्म 3(A) में गलत आंकड़े प्रस्तुत किए।


अन्य कंपनियों की संदिग्धता

Jalaram Projects Pvt. Ltd. अकेली संदिग्ध कंपनी नहीं है। M/S Dev Construction ने आगरा स्मार्ट सिटी लिमिटेड के वर्क ऑर्डर 857/ASOL/2018-19 Dt. 1/3/2019 में जॉइंट वेंचर के तहत काम किया था। लेकिन बिहार में बुडको से ठेका लेते समय इसी काम को स्वतंत्र क्रेडेंशियल बताया गया। इसके अलावा, कंपनी ने कई अन्य दस्तावेजों में भी हेरफेर की है। वर्तमान में यह कंपनी बिहार में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर कार्यरत है।


अधिकारियों की चुप्पी और सवाल

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर ये कंपनियां किसके संरक्षण में नियमों की अनदेखी कर ठेके प्राप्त कर रही हैं? क्या इसके पीछे किसी टेंडर माफिया का गठजोड़ है?


बुडको के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले पर बोलने से बच रहे हैं। लेकिन हाल में आईएएस अधिकारी संजय हंस और रिशु श्री से जुड़े मामलों ने पहले ही विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि घोटाले का यह जाल कितना गहरा और व्यापक है। अब देखना होगा कि ईडी की जांच इन अनियमितताओं तक पहुंच पाती है या नहीं।