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बिहार में दहेज के खिलाफ मीना की संघर्ष की कहानी

बिहार के नवादा जिले में मीना कुमारी ने दहेज की मांग के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। एक प्रेम विवाह जो दहेज की मांग के कारण संकट में पड़ गया, मीना ने अपने आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की। जानें कैसे उसने इस अन्याय का सामना किया और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
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दहेज के खिलाफ मीना का संघर्ष

आज के समय में जब लड़कियां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं, तब भी दहेज जैसी सामाजिक बुराई उनके जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर रही है। बिहार के नवादा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक प्रेम विवाह दहेज की मांग के कारण संकट में पड़ गया। कुशाहन गांव की निवासी मीना कुमारी ने प्यार को प्राथमिकता दी और गया जिले के फरका गांव के दीपक कुमार के साथ लगभग चार साल तक प्रेम संबंध बनाए। दोनों ने एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने की कसमें खाईं और सीतामढ़ी के एक प्रसिद्ध मंदिर में शादी कर ली।

शादी के बाद, दोनों गुजरात चले गए, जहां उन्होंने कुछ समय एक साथ बिताया। लेकिन जब मीना अपने ससुराल पहुंची, तो उसे एक कठोर सच्चाई का सामना करना पड़ा। दीपक का परिवार इस विवाह को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था, और दहेज के रूप में 10 लाख रुपये की मांग की गई। स्पष्ट रूप से कहा गया कि इस राशि के बिना मीना को घर में स्थान नहीं मिलेगा।

इस अन्याय के खिलाफ मीना ने चुप्पी नहीं साधी। उसने अपने परिवार की मदद से पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और कानूनी कार्रवाई शुरू की। कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया भी शुरू की गई। लेकिन इसी बीच, दीपक ने अचानक घर छोड़ दिया। इस घटना की जांच पुलिस कर रही है, लेकिन मीना के लिए यह केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि अपने आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा की लड़ाई बन गई है।