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बिहार में फाइनल वोटर लिस्ट जारी, 7.3 करोड़ मतदाता शामिल

बिहार में चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की फाइनल वोटर लिस्ट जारी की है, जिसमें 7.3 करोड़ मतदाता शामिल हैं। इस लिस्ट में 14 लाख और वोटर्स जुड़ने की संभावना है। विपक्ष ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए इसे नागरिकों के वोटिंग अधिकारों का हनन बताया है। जानें इस प्रक्रिया के पीछे के कारण और चुनाव आयोग के नए आदेश के बारे में।
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बिहार में फाइनल वोटर लिस्ट जारी, 7.3 करोड़ मतदाता शामिल

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा फाइनल वोटर लिस्ट का अनावरण


Bihar Final Voter List | पटना | बिहार में मंगलवार को चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की फाइनल लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में 7.3 करोड़ से अधिक मतदाताओं के नाम शामिल हैं, और इसमें 14 लाख और वोटर्स जुड़ने की संभावना है।


SIR प्रक्रिया जून 2025 में शुरू हुई थी, जिसमें 7.89 करोड़ मतदाताओं से फॉर्म भरे गए थे। इसके बाद, 1 अगस्त को नई लिस्ट जारी की गई, जिसमें 65 लाख वोटर्स के नाम हटाए गए थे। चुनाव आयोग के अनुसार, ये वोटर्स या तो अन्य राज्यों या देशों में चले गए हैं।


कुछ मतदाताओं के पास दो वोटर आईडी हैं, जबकि कुछ की मृत्यु हो चुकी है। अब फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद चुनावी तैयारियों में तेजी आएगी।


विपक्ष का SIR प्रक्रिया पर विरोध

विपक्ष ने इस प्रक्रिया का विरोध किया है, यह आरोप लगाते हुए कि यह नागरिकों को वोटिंग के अधिकार से वंचित करने की साजिश है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकालकर चुनाव आयोग पर गठबंधन सरकार की मदद करने का आरोप लगाया।


विपक्ष का कहना है कि यदि चुनाव आयोग को SIR करवाना था, तो इसे चुनाव के ठीक पहले क्यों किया जा रहा है? इसे बिहार चुनाव के बाद आराम से किया जा सकता था। इतनी जल्दी में इसे करने का निर्णय क्यों लिया गया?


चुनाव आयोग का आधार कार्ड को 12वां दस्तावेज मानने का आदेश

चुनाव आयोग ने बिहार में 11 दस्तावेजों को मान्यता दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आधार कार्ड को 12वां दस्तावेज माना गया है। कोर्ट ने कहा कि 'आधार पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।' इसके बाद चुनाव आयोग को वोटर की पहचान के लिए आधार को 12वां दस्तावेज मानने के लिए कहा गया।