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बिहार में बढ़ते अपराध: पटना में एक और हत्या से फैली दहशत

बिहार की राजधानी पटना में हाल के दिनों में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। एक 58 वर्षीय व्यक्ति की हत्या ने स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जानें इस बढ़ते अपराध के पीछे की वजहें और अन्य घटनाओं का विवरण।
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बिहार में बढ़ते अपराध: पटना में एक और हत्या से फैली दहशत

पटना में हत्या की घटनाओं में वृद्धि

बिहार की राजधानी पटना और अन्य जिलों में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में, पटना के सुल्तानपुर थाना क्षेत्र में 58 वर्षीय जितेंद्र कुमार महतो की अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना पिछले 24 घंटों में राज्य में चौथी गोलीबारी की वारदात है, जिसने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.


जांच प्रक्रिया जारी

पुलिस के अनुसार, महतो रोजाना की तरह चाय पीकर लौट रहे थे, तभी बदमाशों ने उन पर गोलियां चलाईं। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पटना पूर्वी के एसपी परिचय कुमार ने बताया कि घटनास्थल से तीन खाली कारतूस मिले हैं और मामले की हर पहलू से जांच की जा रही है। पुलिस को संदेह है कि यह हत्या किसी रंजिश या व्यक्तिगत दुश्मनी का परिणाम हो सकती है.


व्यापारी की हत्या की घटना

यह वारदात राज्य में हो रही अन्य हिंसक घटनाओं की श्रृंखला का हिस्सा है। इसी सप्ताह, सीतामढ़ी के मेहसौल चौक पर व्यापारी पुटू खान की भी दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया और शव के साथ सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया। हत्या के पीछे ज़मीनी विवाद की आशंका जताई गई है.


बाइक सवार हमलावरों का आतंक

इसी दिन पटना जिले के शेखपुरा गांव में 50 वर्षीय पशु चिकित्सक सुरेंद्र कुमार को खेत में सिंचाई करते समय बाइक सवार हमलावरों ने गोलियों से छलनी कर दिया। गंभीर हालत में उन्हें पटना एम्स लाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। वे भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष भी रह चुके थे, जिससे राजनीतिक साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है.


अपराधियों की गिरफ्तारी का इंतजार

इसके अतिरिक्त, रामकृष्ण नगर इलाके में किराना दुकानदार विक्रम झा की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अभी तक इन चारों मामलों में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे प्रशासन की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है.