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बिहार में मतदाता सूची विवाद: 56 लाख वोटरों का नाम हटाने पर सियासी हलचल

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। चुनाव आयोग ने 56 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की बात कही है, जिससे विपक्षी नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने इसे 'वोटों की चोरी' करार दिया है। तेजस्वी ने चुनाव बहिष्कार की धमकी दी है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या ऐसा होने पर चुनाव रद्द हो सकता है। जानें इस जटिल मुद्दे के सभी पहलुओं के बारे में।
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बिहार में मतदाता सूची विवाद: 56 लाख वोटरों का नाम हटाने पर सियासी हलचल

बिहार में मतदाता सूची विवाद:

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. चुनाव आयोग ने खुलासा किया है कि 56 लाख मतदाता अपने पते पर नहीं मिले, जिनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं. इस खबर ने विपक्षी नेताओं तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को आक्रोशित कर दिया है. दोनों ने इसे 'वोटों की चोरी' करार देते हुए सत्तारूढ़ दल पर साजिश का आरोप लगाया है.


तेजस्वी यादव ने तो चुनाव बहिष्कार की धमकी तक दे दी, जिससे सवाल उठता है: अगर विपक्षी गठबंधन चुनाव में हिस्सा न ले, तो क्या होगा? क्या कानून ऐसी स्थिति में चुनाव रद्द कर सकता है? आइए, इस जटिल मुद्दे को समझें.


वोटर लिस्ट से हटाए 56 लाख वोटर

चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान में 18 लाख मृत, 26 लाख स्थानांतरित, और 7 लाख डुप्लिकेट वोटरों की पहचान की गई है. आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी है और 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित होगी, जिसके बाद आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी. अंतिम सूची 30 सितंबर को आएगी.


हालांकि, तेजस्वी यादव ने इसे 'लोकतंत्र पर हमला' करार दिया और कहा कि यह गरीब, दलित, और वंचित वोटरों को सूची से हटाने की साजिश है. राहुल गांधी ने भी इसे सत्तारूढ़ दल की धांधली बताया.


अगर विपक्ष ने बहिष्कार किया तो क्या होगा?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को निष्पक्ष और समयबद्ध चुनाव कराने का अधिकार देता है. अगर महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, और अन्य दल) चुनाव का बहिष्कार करता है, तो भी आयोग को चुनाव कराने से कोई नहीं रोक सकता. यदि केवल सत्तारूढ़ दल (NDA) या निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में रहते हैं, तो चुनाव होगा और निर्विरोध जीत संभव है. संविधान में ऐसी स्थिति में चुनाव रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है, सिवाय हिंसा या प्राकृतिक आपदा जैसी असाधारण परिस्थितियों के. विपक्ष सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दे सकता है कि बिना प्रतिस्पर्धा का चुनाव संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.