बिहार विधानसभा चुनाव 2025: अपराधों की बढ़ती संख्या पर सियासी हलचल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: अपराधों की बढ़ती संख्या
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, बढ़ते अपराधों को लेकर राजनीतिक दल एनडीए सरकार पर तीखे हमले कर रहे हैं। पिछले छह महीनों में राज्य में नौ प्रमुख व्यवसायियों की हत्या हो चुकी है। इस स्थिति में विपक्ष लगातार कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है। गोपाल खेमका की हत्या के बाद पटना और अन्य जिलों में हालात बिगड़ गए हैं। रोजाना हत्या, लूट और फायरिंग के कई मामले सामने आ रहे हैं। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे पर कई सवाल उठाए हैं।
तेजस्वी यादव का ट्वीट
तेजस्वी यादव ने रविवार को एक ट्वीट में लिखा कि बिहार में इतनी हत्याएं हो रही हैं कि उन्हें गिनना भी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि यहां इंसान का जीवन कीड़ों से भी सस्ता हो गया है। सीतामढ़ी में एक व्यवसायी की गोली मारकर हत्या की गई, पटना में एक दुकानदार की हत्या हुई, नालंदा में एक नर्स की गोली मारकर हत्या की गई, और खगड़िया में एक युवक की हत्या की गई। गया और नालंदा में दो-दो हत्याएं हुई हैं। चारों ओर सरकारी गुंडों की गोलियां चल रही हैं, और अपराधियों को संरक्षण देने वाले सत्ताधारी नेताओं की बातें हो रही हैं।
नीतीश सरकार पर अपने ही हमलावर
बिहार में अपराधों को लेकर अब सत्ताधारी दल के अपने ही नेता भी सरकार पर हमलावर हो गए हैं। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि गृह विभाग पिछले लगभग 20 वर्षों से उनके पास है, जिससे अन्य मंत्री और नेता उनके विभाग पर सवाल उठाने में संकोच नहीं कर रहे हैं।
छह महीनों में नौ व्यवसायियों की हत्या
बिहार में पिछले छह महीनों में नौ प्रमुख व्यवसायियों की हत्या हो चुकी है। इनमें पटना के व्यवसायी रमाकांत यादव, दवा व्यवसायी गोपाल खेमका, जमीन कारोबारी अंजनी सिंह, प्रॉपर्टी डीलर रजी अहमद उर्फ नन्हू मियां, मुजफ्फरपुर के बालू कारोबारी रमेश चंद्रा, गया के ज्वैलर संजय अग्रवाल, और एथिया हॉस्पिटल की संचालिका सुरभि शामिल हैं। इस प्रकार, चुनाव से पहले एनडीए सरकार के सामने अपराध एक बड़ी चुनौती बन गई है।