बिहार विधानसभा चुनाव: चिराग पासवान की चुप्पी से महागठबंधन को मिल सकता है लाभ

राजनीति में गर्मी: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी
इस वर्ष अक्टूबर और नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल अब पूरे देश में महसूस की जा रही है। केंद्र और बिहार में सत्तारूढ़ राजग के घटक लोजपा (रा) के प्रमुख चिराग पासवान की अनदेखी से राज्य की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। चिराग के नीतीश सरकार के खिलाफ बयानबाजी को विपक्षी इंडिया महागठबंधन अपने लिए फायदेमंद मान रहा है, जिससे राज्य की राजनीति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
नीतीश सरकार पर चिराग का हमला
लोजपा (रा) के प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार में बढ़ते अपराध के मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा है कि उन्हें दुख है कि वे ऐसी सरकार का समर्थन कर रहे हैं, जहां अपराध नियंत्रण से बाहर हो गया है। उनके इस बयान ने पटना से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। जदयू का कहना है कि दुखी व्यक्ति अधिक काम नहीं कर पाता, और चिराग को मीडिया में नहीं, बल्कि केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मुद्दे उठाने चाहिए।
विपक्षी महागठबंधन की खुशी
लोजपा (रा) और जदयू के बीच बढ़ते अपराध पर बहस के बीच, इंडिया महागठबंधन से जुड़े दल इस स्थिति को अपने लिए फायदेमंद मान रहे हैं। उन्हें लगता है कि राजग के भीतर की लड़ाई का लाभ विधानसभा चुनाव में उन्हें मिल सकता है। हालांकि, राजग के रणनीतिकार इस स्थिति को संभालने में जुटे हैं, लेकिन स्थिति गंभीर होती जा रही है। लोजपा (रा) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी का कहना है कि इसे अनावश्यक रूप से तूल दिया जा रहा है।
राजद का दृष्टिकोण
विपक्षी महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर नवल किशोर ने इस मामले पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने सवाल उठाया कि बिहार में बढ़ते अपराध की जांच के लिए केंद्र सक्रिय क्यों नहीं हो रहा है, जबकि फैक्ट फाइंडिंग टीम तुरंत बंगाल पहुंच जाती है। उनका कहना है कि यदि चिराग पासवान सच में बिहार की चिंता करते हैं, तो उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाना चाहिए।