बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में पुनरीक्षण पर विवाद

बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण
बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे विपक्षी दलों में हड़कंप मच गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस कदम को पक्षपातपूर्ण और एकतरफा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। RJD के नेता तेजस्वी यादव ने इसे दलितों और वंचितों के मतदान अधिकारों को छीनने की साजिश करार दिया है।
राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग के विशेष पुनरीक्षण आदेश को चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया केवल बिहार में ही लागू की जा रही है, जबकि पिछली बार ऐसा पुनरीक्षण 2003 में पूरे देश में किया गया था। उन्होंने इसे विपक्षी मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाने का प्रयास बताया।
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने दी सफाई
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 24 जून 2025 को जारी आदेश के अनुसार SIR अभियान बिहार में सुचारू रूप से चल रहा है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने X पर बताया कि 1 अगस्त को जारी होने वाली प्रारंभिक मतदाता सूची में उन सभी लोगों के नाम शामिल होंगे जिन्होंने फॉर्म भरे हैं। आयोग ने यह भी कहा कि किसी भी मतदाता के साथ अन्याय नहीं होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस अभियान को बीजेपी और आरएसएस की साजिश बताया है। उनका कहना है कि इसका उद्देश्य दलितों और वंचित वर्गों से मतदान का अधिकार छीनना है। अन्य विपक्षी दलों ने भी इस कदम पर चिंता जताते हुए चुनाव आयोग से इसे रोकने की मांग की है।
महुआ मोइत्रा की चिंताएं
महुआ मोइत्रा ने भी जताई आशंका
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह कदम बिहार के युवाओं को मताधिकार से वंचित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगला निशाना बंगाल हो सकता है, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। महुआ ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताते हुए कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है।