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बीएमसी चुनाव से पहले ठाकरे परिवार के बीच बढ़ती नजदीकियाँ

बीएमसी चुनावों के नजदीक आते ही उद्धव और राज ठाकरे के बीच की दूरियाँ कम होती दिख रही हैं। दोनों नेताओं के एक मंच पर आने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे एकजुट होकर चुनाव लड़ सकते हैं। शिवसेना UBT के सांसद संजय राउत ने इस संभावना को बल दिया है। वहीं, कांग्रेस MVA गठबंधन की स्थिति को लेकर सतर्क है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी चेतावनी दी है कि इससे MVA में दरार पड़ सकती है। उद्धव के पास अब तीन विकल्प हैं: MVA के साथ रहना, अकेले चुनाव लड़ना, या राज ठाकरे के साथ गठबंधन करना।
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बीएमसी चुनाव से पहले ठाकरे परिवार के बीच बढ़ती नजदीकियाँ

ठाकरे परिवार में बढ़ती एकता

मुंबई: बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) चुनावों के नजदीक आते ही ठाकरे परिवार के दो प्रमुख नेता, उद्धव ठाकरे (शिवसेना UBT) और राज ठाकरे (MNS), के बीच की दूरियाँ कम होती दिख रही हैं। दोनों नेताओं के सार्वजनिक मंच साझा करने और मराठी पहचान के मुद्दे पर एकजुटता दिखाने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि उद्धव MVA (महाविकास आघाड़ी) को छोड़कर राज ठाकरे के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
शिवसेना UBT के सांसद संजय राउत ने इस बात के संकेत दिए हैं कि बीएमसी चुनाव में दोनों दलों के एक साथ आने पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, "यदि मुंबई को बचाना है, तो मिलकर चुनाव लड़ना उचित रहेगा।" राउत ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन की रणनीति अलग हो सकती है।
वहीं, कांग्रेस MVA गठबंधन की मौजूदा स्थिति को लेकर सतर्कता बरत रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि राज और उद्धव का मेल पारिवारिक संबंधों या केवल मराठी एजेंडे पर आधारित है, यह स्पष्ट होने पर ही MVA में राज ठाकरे के शामिल होने पर निर्णय लिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी चेतावनी दी है कि इससे MVA में दरार पड़ सकती है। उनका कहना है, "दोनों ठाकरे भाइयों का एक साथ आना MVA को प्रभावित करेगा।" बीएमसी चुनाव भाजपा-शिंदे गुट के लिए अवसर प्रदान करेगा, और यह ठाकरे बंधुओं की राजनीतिक प्रतिष्ठा के लिए भी एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी। खबरों के अनुसार, उद्धव अब तीन विकल्पों पर विचार कर रहे हैं: 1. MVA के साथ बने रहना 2. अकेले चुनाव लड़ना 3. राज ठाकरे के साथ गठबंधन करना।