बीजिंग ने कैसे किया प्रदूषण पर काबू? दिल्ली के लिए सीखने का समय
बीजिंग का प्रदूषण नियंत्रण: एक प्रेरणादायक कहानी
नई दिल्ली: कुछ समय पहले, चीन की राजधानी बीजिंग को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में से एक माना जाता था। स्थिति इतनी गंभीर थी कि इसे वैश्विक स्तर पर स्मॉग कैपिटल के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन पिछले एक दशक में, बीजिंग की हवा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो कि सख्त नीतियों और उनके प्रभावी कार्यान्वयन का परिणाम है।
इसके विपरीत, भारत की राजधानी दिल्ली अभी भी गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। यह स्पष्ट है कि केवल दिल्ली ही नहीं, बल्कि इसके आस-पास के राज्यों को भी मिलकर समाधान खोजना होगा, क्योंकि यह समस्या क्षेत्रीय स्तर पर फैल जाती है। इस संदर्भ में, यह जानना आवश्यक है कि बीजिंग ने अपनी हवा को साफ करने में क्या रणनीतियाँ अपनाई और दिल्ली क्यों पीछे रह गई।
जब बीजिंग था 'स्मॉग कैपिटल'
एक समय था जब चीन को 'साइकिल किंगडम' कहा जाता था, जहां साइकिल का चलन बहुत अधिक था। लेकिन जैसे-जैसे देश ने ऑटोमोबाइल और Combustion Engines की ओर कदम बढ़ाया, पर्यावरण और समाज पर दबाव बढ़ने लगा।
इस बदलाव का सबसे गंभीर प्रभाव बीजिंग पर पड़ा। बढ़ती जनसंख्या, वाहनों की संख्या में वृद्धि और औद्योगिक विकास ने राजधानी के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया। जहरीली हवा और घने स्मॉग ने बीजिंग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर दिया। इस स्थिति को सुधारने के लिए चीन को कठोर निर्णय लेने पड़े, जो बाद में उसके लिए गेम चेंजर साबित हुए।
2013 के बाद प्रदूषण पर चीन की गंभीरता
चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उत्पादक और उपभोक्ता बन गया, ने 2013 के बाद से बारीक कणों वाले प्रदूषण में 64% और सल्फर डाइऑक्साइड में 89% की कमी दर्ज की। अब यह मॉडल चीन के अन्य शहरों में भी अपनाया जा रहा है।
बीजिंग के प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
बीजिंग ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए:
1. कोयले से गैस की नीति
बीजिंग ने 2005 से 'कोयले से गैस' नीति लागू की और 2017 तक कोयले की खपत में लगभग 11 मिलियन टन की कमी की। इससे प्रदूषण में कमी आई, जो दिल्ली-नोएडा के लिए भी एक महत्वपूर्ण सबक है।
2. औद्योगिक उपचार प्रणाली का उन्नयन
चीन ने उच्च क्षमता वाली औद्योगिक उपचार सुविधाओं को आधुनिक बनाया और कम उत्सर्जन वाले मानक लागू किए, जिससे औद्योगिक प्रदूषण में कमी आई।
3. वाहनों से प्रदूषण पर नियंत्रण
बीजिंग में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना लंबे समय से नीति का हिस्सा रहा है। लोग इसे केवल नियम नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी मानते हैं।
4. वाहनों और ईंधन की गुणवत्ता पर ध्यान
नई और पुरानी गाड़ियों के मानक और ईंधन की गुणवत्ता पर ध्यान दिया गया। सख्त कानून बनाए गए और उनका पालन सुनिश्चित किया गया।
5. प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों का स्थानांतरण
बीजिंग और उसके आसपास की प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों को स्थानांतरित किया गया और नई तकनीक के माध्यम से उत्सर्जन को न्यूनतम करने के उपाय किए गए।
6. ट्रैफिक प्रबंधन और आर्थिक प्रोत्साहन
यातायात प्रबंधन में सुधार किया गया और स्वच्छ विकल्पों को अपनाने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन दिए गए।
नतीजा: गाड़ियों की संख्या बढ़ी, प्रदूषण में कमी
इन सभी उपायों का परिणाम यह हुआ कि पिछले दो दशकों में बीजिंग में गाड़ियों की संख्या तीन गुना बढ़ गई, लेकिन प्रदूषण में भारी कमी आई। 2013 से 2022 के बीच कोयले, वाहनों और फसल जलाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया गया।
आंकड़े बताते हैं कि:
PM2.5 में 66.5% की कमी
SO2 में 88.7% की कमी
NO2 में 58.9% की कमी
PM10 में लगभग 50% की कमी
आज बीजिंग के 2.18 करोड़ लोग अपेक्षाकृत साफ हवा में सांस ले रहे हैं।
दिल्ली के लिए सीख
दिल्ली में अब बिना वैध प्रदूषण प्रमाणपत्र वाले वाहनों को ईंधन न देने जैसे सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं। लेकिन बीजिंग का अनुभव यह दर्शाता है कि केवल नियम बनाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें ईमानदारी से लागू करना भी आवश्यक है। यदि दिल्ली और एनसीआर बीजिंग के मॉडल से सीख ले, तो राजधानी एक बार फिर खुलकर सांस ले सकेगी।
