Newzfatafatlogo

बीमा उद्योग की जीएसटी में कमी की मांग: सस्ती पॉलिसियों की उम्मीद

भारत का बीमा उद्योग सरकार से जीएसटी में कमी की मांग कर रहा है, जिससे बीमा पॉलिसियों की बिक्री में वृद्धि और ग्राहकों को सस्ती सेवाएं मिल सकेंगी। हाल ही में व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी हटाने का निर्णय लिया गया है, जो मध्यम और निम्न-आय वर्ग के परिवारों के लिए राहत भरा है। हालांकि, उद्योग का कहना है कि यह केवल पहला कदम है। इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती है। इस दिशा में नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है।
 | 
बीमा उद्योग की जीएसटी में कमी की मांग: सस्ती पॉलिसियों की उम्मीद

बीमा प्रीमियम पर जीएसटी में कमी की आवश्यकता

बीमा प्रीमियम: भारत की बीमा क्षेत्र सरकार से वितरण लागत और कमीशन पर जीएसटी की दरों में कमी की अपील कर रहा है। उद्योग का मानना है कि इससे बीमा पॉलिसियों की बिक्री में वृद्धि होगी और सरकार के "सभी के लिए बीमा" लक्ष्य को समर्थन मिलेगा। व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी हटाने का निर्णय स्वागत योग्य है, लेकिन गैर-जीवन बीमा कंपनियों पर वितरण लागत के कारण 6-7% का वित्तीय प्रभाव पड़ रहा है।


बीमा क्षेत्र, जो भारत में वित्तीय सुरक्षा का आधार है, अब सरकार के साथ मिलकर एक नई दिशा की खोज कर रहा है। उद्योग के प्रमुख व्यक्तियों का कहना है कि कमीशन और वितरण लागत पर जीएसटी में कमी से न केवल बीमा की कीमतें घटेंगी, बल्कि ग्रामीण और छोटे शहरों में इसकी पहुंच भी बढ़ेगी। यह कदम सरकार के "बीमा सबके लिए" मिशन को गति दे सकता है, जिससे हर भारतीय को वित्तीय सुरक्षा का लाभ मिल सके।


जीएसटी का मुनाफे पर प्रभाव

मुनाफे को 6-7% तक कम कर रहा जीएसटी


बीमा कंपनियों के लिए पॉलिसी बेचने की लागत एक महत्वपूर्ण खर्च है। सूत्रों के अनुसार, कमीशन और ब्रोकरेज पर 18% जीएसटी उद्योग के मुनाफे को 6-7% तक कम कर रहा है। विशेष रूप से स्वास्थ्य बीमा पर निर्भर कंपनियों पर इसका प्रभाव अधिक है। उद्योग का कहना है कि जीएसटी में कमी से यह बोझ हल्का होगा, जिससे पॉलिसी धारकों को सस्ती सेवाएं मिल सकेंगी।


प्रीमियम पर जीएसटी छूट

प्रीमियम पर जीएसटी छूट


सरकार ने हाल ही में व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से 18% जीएसटी हटाने की घोषणा की है। यह निर्णय आम जनता के लिए राहत भरा है, क्योंकि इससे बीमा पॉलिसियां पहले से कहीं अधिक किफायती हो जाएंगी। विशेष रूप से मध्यम और निम्न-आय वर्ग के परिवारों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। हालांकि, उद्योग का कहना है कि यह केवल पहला कदम है।


इनपुट टैक्स क्रेडिट की समस्या

इनपुट टैक्स क्रेडिट का अभाव: नई मुश्किल


वितरण लागत पर जीएसटी में कमी की मांग के साथ-साथ उद्योग इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की अनुपलब्धता की समस्या से भी जूझ रहा है। कमीशन, ब्रोकरेज और प्रशासनिक सेवाओं पर आईटीसी की अनुपलब्धता से कंपनियों का वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दिशा में नीतिगत बदलाव से बीमा क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी।


भविष्य की संभावनाएं

गेम चेंजर साबित हो सकता है यह कदम


बीमा उद्योग का मानना है कि जीएसटी में कमी और नीतिगत सुधार न केवल कंपनियों के लिए फायदेमंद होंगे, बल्कि ग्राहकों को भी सस्ती और बेहतर सेवाएं मिलेंगी। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां बीमा की पहुंच अभी सीमित है, यह कदम गेम-चेंजर साबित हो सकता है। सरकार और उद्योग के बीच चल रही बातचीत से जल्द सकारात्मक नतीजे की उम्मीद है।