बॉम्बे हाई कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया

मालेगांव ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट की सुनवाई
मुंबई - बॉम्बे हाई कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी किए गए साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सात आरोपियों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने उन्हें छह हफ्तों के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, एनआईए को भी नोटिस जारी किया गया है। विस्फोट में मारे गए छह लोगों के परिवारों ने विशेष एनआईए अदालत के निर्णय को चुनौती दी है। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की बेंच के समक्ष हुई।
याचिका में यह कहा गया है कि जांच में हुई गलतियों के आधार पर आरोपियों को बरी नहीं किया जा सकता। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि विस्फोट की साजिश के दौरान गोपनीयता का पालन किया गया था, जिससे प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो सके। इससे पहले, 16 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार केवल उन लोगों को है जो ट्रायल में गवाह रहे हों या पीड़ित पक्ष से सीधे जुड़े हों। विशेष एनआईए कोर्ट ने 31 जुलाई को सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था, जिनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे।
अपीलकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि अदालत को केवल मूकदर्शक नहीं रहना चाहिए था। आवश्यकता पड़ने पर उसे सवाल पूछने और अतिरिक्त गवाह बुलाने का अधिकार प्रयोग करना चाहिए था। इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को फिर से सुनवाई होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि पीड़ित परिवारों की अपील सुनवाई योग्य है या नहीं और ट्रायल में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण रही थी। मालेगांव विस्फोट 29 सितंबर, 2008 को हुआ था, जब महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था। रमजान के दौरान और नवरात्रि से कुछ दिन पहले हुए इस हमले में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।